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Durg News : धीरज को धीर नहीं, जनता हुई अधीर, पूरा शहर पानी-पानी, शहरवासी फिर भी प्यासे, अनुभवहीन महापौर पड़ गया भारी

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दुर्ग, नवप्रदेश। जब किसी बड़े और जिम्मेदारी वाले पद पर अनुभवहीन व्यक्ति काबिज होता है तो उसका खामियाजा बहुसंख्य लोगों को भुगतना पड़ता है। दुर्ग में विगत करीब ढाई वर्षों से शहरवासियों के साथ यही हो रहा है। राजनीति में गैरअनुभवी व्यक्ति को महापौर जैसे जिम्मेदारी वाले पद पर बिठा तो दिया गया, लेकिन अनुभवहीनता की वजह से वे कुछ भी कर पाने में नाकाम साबित हुए हैं।

जिन बड़ी-बड़ी योजनाओं को नगर निगम और शहर के जिम्मेदार लोग अपनी उपलब्धियों में शुमार करते रहे हैं, अब वही उपलब्धियां शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बनकर रह गई है। अमृत मिशन योजना की असफलता का नतीजा है कि अब शहर के नागरिकों को आने वाले बीसियों वर्षों तक पानी की समस्या से जूझना पड़ेगा।

वहीं निगम में सत्ता परिवर्तन के बाद जिस तरह से शंकर नाला निर्माण में व्यापक पैमाने पर गड़बडिय़ां सामने आती रही, उसने भी निगम की भ्रष्ट व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। हालात यह है कि पूरा शहर पानी-पानी हुआ पड़ा है तो दूसरी ओर शहरवासियों को इस भरी बरसात में भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।

अमृत मिशन योजना दुर्ग में भले ही फ्लॉप साबित हुई हो, लेकिन योजना के तहत बिछाई गई पाइप लाइन के चलते पूरा शहर हिचकोले खाने को मजबूर है। पूरी गर्मी लोग पानी की बूंद-बूंद को तरसते रहे और अब जबकि घंटेभर की बरसात से पूरा शहर डूबा जा रहा है,

तब भी निगम की नाकाबिल व्यवस्था नागरिकों को पेयजल उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रही है। दुर्ग के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि लोग भरी बरसात में पानी के लिए त्राहि-त्राहि करे। जाहिर है कि १५० करोड़ की अमृत मिशन योजना की असफलता ने महापौर धीरज बाकलीवाल के कार्यकाल पर बदनुमा दाग लगाया है।

नगर निगम में सबसे सीनियर पार्षद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मदन जैन कहते हैं,- जलगृह प्रभारी के कार्यकाल में ३५३ दिन शहरवासियों को पानी से वंचित रखा गया। लोगों को जलगृह प्रभारी को बधाई भेजनी चाहिए।

पेयजल अब होगी स्थायी समस्या..

वास्तव में नगर निगम की वर्तमान परिषद और महापौर धीरज बाकलीवाल के कार्यकाल में अमृत मिशन योजना की असफलता ने नगर निगम की साख पर बट्टा लगाया है, जिसकी भरपाई अब संभव नहीं है। इस पूरी योजना की असफलता के लिए महाराष्ट्र की वह एजेंसी भी बराबर की जिम्मेदार है, जिसके अफसरों ने मानिटरिंग करने की बजाए अपने-अपने हिस्से लेकर दफ्तरों में बैठना मुनासिब समझा।

अमृत मिशन के तहत पूरे शहर में अजीबोगरीब ढंग से काम किए गए हैं। ठेकेदारों ने बड़े पैमाने पर काम हासिल किया और फिर पेटी कांट्रेक्टरों और नौसिखिए ठेकेदारों को काम बांट दिया। जिनकी सत्ता थी, उनके लोग अचानक ठेकेदार बन बैठे और फिर शहर को बर्बाद करने का खेल शुरू कर दिया गया।

वर्तमान में मानसून शबाब पर है। ऐसे वक्त में शहर में कभी पानी की किल्लत नहीं हुई, लेकिन महापौर धीरज बाकलीवाल और जलगृह प्रभारी संजय कोहले ने यह रिकार्ड भी अपने नाम कर लिया। इसकी सबसे बड़ी वजह ऊटपटांग तरीके से बिछाई गई पाइप लाइन है।

नौसिखिए ठेकेदारों ने अपनी अनुभवहीनता के चलते मनमाने ढंग से गड्ढे खोदे और पाइप लाइन बिछा दी, लेकिन यह जमीन के भीतर कहीं ऊंची तो कहीं नीची है। यही वजह है कि सभी इलाकों में समान तरीके से जलापूर्ति नहीं हो पाती। हालांकि इसकी एक प्रमुख वजह योजना के तहत बनाई गई टंकियों में पानी नहीं भरना भी है। लेकिन समस्या बस इतनी ही नहीं है। मनमाने तरीके से काम करने की वजह से लोगों को पानी नहीं मिलना एक बात है, लेकिन शहर के लिए अब यह स्थाई समस्या बनने जा रही है।

दुर्ग शहर को कर दिया बर्बाद

जाहिर है कि लोगों को पानी के लिए आने वाले कई दशकों तक इसलिए भी तरसना पड़ेगा, क्योंकि अव्यवस्थित और बेतरतीब पाइप लाइनों को फिर से खोदकर बिछाया जाना अब संभव नहीं है। इस पर ठेकेदारों की लापरवाही का एक और नमूना इस बरसात में देखने को मिल रहा है।

पाइप लाइन बिछा देने के बाद उस पर मिट्टी बिछा दी गई। कहीं-कहीं रेत ज्यादा और सीमेंट कम की मात्रा में लीपापोती की गई। स्थिति यह है कि पूरे शहर में पाइप लाइन वाली जगहों में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। लोगों को कनेक्शन देने के लिए भी सड़कों को आर-पार काटा गया।

इन गड्ढों में पानी भर गया है। रोजाना शहर में दर्जनों हादसे इन गड्ढों की वजह से हो रहे हैं। इन हालातों के लिए पूरी तरह से नगर निगम की वर्तमान परिषद और उसके नेता जिम्मेदार है, जो जी-हुजुरी की अपनी परंपरागत मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाए और अपने-अपने हिस्से लेकर किनारे हो गए।

शर्मनाक तो यह भी…

शर्मनाक बात है कि इतनी लम्बी जद्दोजहद और निम्नस्तरीय कारगुजारियों के बाद भी जलगृह विभाग में यह बताने वाला कोई नहीं है कि अमृत मिशन के अधूरे काम कब पूरे होंगे? जबकि अब भी ४४३ किलोमीटर क्षेत्र में पाइप लाइन बिछाना बाकी है। दो दर्जन से ज्यादा वार्डों में नल के कनेक्शन भी नहीं जोड़े गए हैं।

पूर्व कमिश्नर हरेश मंडावी ने इन हालातों को गम्भीरता से लिया था, किन्तु भ्रष्ट और निकम्मी व्यवस्था के चलते वे भी बहुत ज्यादा कुछ कर नहीं पाए। अब नए कमिश्नर प्रकाश सर्वे से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे निगम को पटरी में लाएंगे, लेकिन पदभार ग्रहण करने के बाद जिस तरह से वे महापौर और विधायक के यहां हाजिरी लगाने पहुंचे, उसके बाद उनसे भी ज्यादा उम्मीदें रखना बेमानी होगा।

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