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जिला स्तरीय एक्सर्पोटर कॉनक्लेव का हुआ समापन, छत्तीसगढ़ में निवेश करने दिया गया जोर

District level exporter conclave concludes, emphasis given to invest in Chhattisgarh

Exporter Conclave

रायपुर/नवप्रदेश। Exporter Conclave : आजादी के 75 वें वर्ष को अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान केन्द्र एवं राज्य शासन के विभागों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। देश के वाणिज्य विभाग द्वारा 20 से 26 सितंबर तक वाणिज्य सप्ताह के रूप मनाया गया है। इसी कड़ी में अवसर पर राजधानी में जिला स्तरीय एक्सर्पोटर कॉनक्लेव का आयोजन किया गया।

जिला स्तरीय एक्सर्पोटर कॉनक्लेव में रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार ने निर्यातकों को आगे आने की अपील की। साथ ही उन्होंने कहा कि निर्यातकों के माध्यम से ना केवल उनके स्वयं के आय में वृद्धि होती है बल्कि इससे रोजगार के अवसरों में भी काफी वृद्धि होती है और जिले तथा राज्य का नाम रोशन होता है। ऐसे आयोजन के माध्यम से केन्द्र शासन और राज्य शासन द्वारा निर्यात संवर्धन और निर्यात की संभावनाओं पर बल दिया जा रहा है। कलेक्टर ने कहा कि उनके काम में जिला प्रशासन और राज्य शासन का पूरा सहयोग रहेगा।

छत्तीसगढ़ बना इंडस्ट्रियल हब

सौरभ कुमार ने कहा कि आजादी के समय हमारे देश में एक पिन भी नहीं बनती थी लेकिन आज हम हैवी इंजीयनरिंग के समान तथा हैवी मशीनरी बनाते हैं। रायपुर के उरला और सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र में ऐसे उत्पाद बनते है जो केवल पहले केवल जापान जैसे तकनीकी रूप में अग्रणी देशों में बनते थे। जिले के उरला और सिलतरा जैसे औद्योगिक क्षेत्र (Exporter Conclave) में सेचुरेशन की स्थिति है लेकिन तिल्दा-खरोरा आदि क्षेत्रों में उद्योग का तेजी से विकास हो रहा है। छत्तीसगढ़ को इंडस्ट्रियल हब के रूप में पहचान मिली है, अब यह फ्रोजन उत्पाद तथा राइस उत्पाद जैसे क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां के उत्पादों की गुणवत्ता काफी अच्छी है और उनके निर्यात की अच्छी संभावनाएं है।

Exporter Conclave

निर्यात प्रकोष्ठ बनाने पर जोर

छत्तीसगढ़ इंडस्ट्रियल एंड टैक्नीकल कल्टंनसी सेंटर के स्टेट हेड पी.के निमोनकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ लैंड लाॅक राज्य है, यहां पोर्ट नहीं होने से अगर निर्यात में कुछ समस्याएं है तो उसमें अवसर भी उतने ही ज्यादा है। यह क्षेत्र बाहरी अतिक्रमण, युद्ध जैसी विपदाओं से बचा रहता है और चारों और व्यापार तथा आवागमन की सुविधाएं रहती है। उन्होंने राज्य में शासन -प्रशासन तथा निजी क्षेत्रों एवं इंडस्ट्री एसोसिएशन आदि की मदद से निर्यात प्रकोष्ठ बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा ‘नो रिस्क-नो गैन’। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में मेटल, मिनीरल्स, फारेस्ट प्रोडशुस, एग्रीकल्चर प्रोडशुस, ईडिएबल आईल के साथ-साथ अन्य क्षेत्र में निर्यात की काफी संभावनाएं है। यहां नान टिम्बर फारेस्ट प्रोडशुस के करीब दौ सौ उत्पाद है , जो देश में सर्वाधिक है। देश का 35 प्रतिशत स्टील छत्तीसगढ में होता है और अब छत्तीसगढ़ (Exporter Conclave) के स्टील का रेट पूरे देश में चलता है।

निर्यातकों ने साझा की अपनी सफलता

एक्सपोर्ट प्रमोशन केपिटल गुड्स रायपुर के मैेनेजर कल्पतरू बेहरा ने बताया कि भारत शासन के सहयोग से गठित यह संस्था रायपुर में संचालित है। इसका उदे्श्य निर्यात की फैसीलिटी को बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाना, निर्यातकों के जोखिम को कम करना और बैंकों की सहायता करना है।

वहीं छत्तीसगढ़ के सफल निर्यातक राहुल पटेल और विकास अग्रवाल ने बताया कि शुरू में उन्हें निर्यात करने में कठिनाई महसूस हुई लेकिन अब यह कार्य ऐसा लगता है जैसे वे अपना माल अन्य राज्यों में भेज रहे हैं। पटेल ने बताया उनका स्टील वायर गल्फ देशों में जा रहा है अब इसे यूरोप भेजने की भी योजना है।

सेफेसिल संस्था कलकत्ता की दिव्याणी राय ने कहा कि उनकी संस्था छत्तीसगढ़ में निर्यात बढ़ाने के लिए आगे भी प्रयास करेगी और वीडियो क्रान्फेंसिग के माध्यम से उनकी परिषद नियमित अंतराल पर समझाईश देने और सहयोग करने का कार्य करते रहेगी। मुख्य महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र, रायपुर श्री व्ही.के देवांगन ने कार्यक्रम के उद्देश्य की जानकारी दी।

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