Editorial: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चुनाव आयोग ने वहां एसआईआर कराकर मतदाता सूचियों का गहन पुनरनिरीक्षण कराया था। चुनाव आयोग की इस कार्यवाही को लेकर महागठबंधन के नेताओं ने बहुत हाय तौबा मचाई थी। कांग्रेस के नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव के साथ मिलकर वोटर यात्रा भी निकाली थी और वोट चोर गद्दी छोड़ का नारा लगाते हुए एसआईआर का जमकर विरोध किया था और एसआईआर के माध्यम ये वोट चोरी कराने के आरोप लगाये थे। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था और सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर की प्रक्रिया पर रोक लगाने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया था।
इसके बाद हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को 2002 सीटें मिली और महागठबंधन का सुपड़ा साफ हो गया। जाहिर है एसआईआर और वोट चोरी का मुद्दा टांय टांय फिस हो गया। इसके बावजूद विपक्षी पार्टियों एसआईआर के खिलाफ विरोध कर रही हैं। चुनाव आयोग ने बंगाल, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित देश के 12 राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिसे लेकर तकरार हो रही है। एसआईआर की प्रक्रिया का सबसे ज्यादा विरोध बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर रही हैं। जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। बंगाल में एसआईआर शुरू होते ही वहां वर्षो से रह रहे रोहिंग्या औार बांग्लादेशी घुसपैठियों में हडकंप मच गया है और वे बंगाल छोड़कर वापस बांग्लादेश जाने के लिए बॉर्डर पर डेरा डाले पड़े हुए हैं। इन घुसपैठियों की संख्या बॉर्डर पर लगातार बढ़ती जा रही है।
कुछ घुसपैठिए तो नेपाल में भी घुसने की तैयारी में है। हजारों की संख्या में इन घुसपैठियों वापस लौटने के कारण ममता बनर्जी को अपना वोट बैंक खिसकता नजर आ रहा है। इसलिए उन्होंने एसआईआर के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वे खुद सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रही हैं और केन्द्र सरकार को धमकी दे रही हैं कि यदि बंगाल में एसआईआर कराया गया तो केन्द्र सरकार को उखाड़कर फेंक दिया जाएगा। दरअसल ममता बनर्जी को अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हार की संभावना साफ नजर आ रही है क्योंकि बंगाल में लाखों घुसपैठिए कई सालों से डेरा डाले पडे हैं और इनमें से अधिकांश लोगों के आधार कार्ड, वोटरकार्ड और राशकार्ड भी बन चुके हैं और ममता बनर्जी सरकार इनको पूरा संरक्षण दे रही है। यदि इन घुसपैठियों खदेड़ दिया गया तो ममता बनर्जी की हार लगभग तय हो जाएगी।
इसी तरह उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमों अखिलेश यादव ने भी उत्तरप्रदेश में एसआईआर कराये जाने का विरोध किया है और दावा किया है कि उनकी पार्टी उत्तरप्रदेश में किसी भी मतदाता का नाम नहीं कटने देगी। उन्होंने एसआईआर की टाइमिंग को लेकर भी सवालिया निशान लगाया है कि चुनाव आयोग केन्द्र सरकार के इशारे पर ऐसे समय में एसआईआर करा रहा है जब शादी ब्याह का सीजन चल रहा है और लोग उसमें व्यस्त हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि बिहार में एसआईआर के नाम पर केन्द्र की एनडीए सरकार ने खेला करा दिया है लेकिन वे उत्तरप्रदेश में खेला नहीं होने देंगे। इसी तरह का बयान आम आदमी पार्टी के नेता भी दे रहे हैं और एसआईआर का विरोध कर रहे हैं। केरल की वामपंथी सरकार ने तो एसआईआर की प्रक्रिया रोकने बाकायदा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है जहां उस पर सुनवाई होनी है। एसआईआर का विरोध वाकई समझ से परे हैं। इसके लिए पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दिखा दी थी फिर भी जो राजनीतिक पार्टियां एसआईआर रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रही है। उससे कोई फायदा नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई जरूर करेगा और चुनाव आयोग को नोटिस भी देगा लेकिन बाद में उसे एसआईआर को मंजूरी देनी ही होगी। चुनाव आयोग की इस कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं दे सकता यह उसने पहले ही स्पष्ट कर दिया है। यदि एसआईआर के काम में धांधली की सिकायत आती है और उसके सबूत सामने आते हैं तभी सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप कर पाएगा। बिहार का उदाहरण सामने है जहां एसआईआर के दौरा किसी भी पात्र मतदाता का नाम काटे जाने की एक भी शिकायत सामने नहीं आई थी एसे में एसआईआर का विरोध सिर्फ राजनीति चमकाने के लिए ही किया जा रहा है।

