Criminal Brother Case : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुख्यात अपराधी अतीक अहमद और उसके भाई की सरेआम गोलीमार कर हत्या कर दी गई। हत्यारे अतीक अहमद के पास इसलिए पहुंचने में सफल हो गए थे क्योंकि उन्होने फर्जी पत्रकार का रूप धारण कर लिया था। कुख्यात माफिया डॉन और पूर्व सांसद अतीक अहमद व उसके भाई की पुलिस सुरक्षा में हत्या इस परिघटना की ताजा मिसाल है, जिसमें मीडिया का अपराधीकरण होते हुए भी देखा जा सकता है। चूंकि उस समय अतीक अहमद से खबरिया चैनल के पत्रकार बातचीत कर रहे थे इसलिए पत्रकार के रूप में वे हत्यारे भी अतीक अहमद के इतने पास पहुंच गए कि उसकी कनपटी से पिस्तौल लगाकर गोली मार दी।
उसके बाद अंधाधुंध फायरिंग कर दी। यह तो गनीमत थी कि हत्यारों द्वारा की जा रही फायरिंग से कोई भी पुलिसकर्मी या मीडियाकर्मी घायल नहीं हुआ। यदि वहां भगदड़ मच जाती या हत्यारे बौखला जाते तो कोई बड़ी बात नहीं थी कि उन तीन हत्यारों द्वारा की गई फायरिंग से पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी भी हताहत हो जाते। इस घटना से शासन प्रशासन को सबक सिखना चाहिए और खुद मीडियाकर्मियों को भी दु:साहस दिखाने से बाज आना चाहिए। टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में कुछ खबरिया चैनलों के रिपोर्टर अपनी लक्ष्मण रेखा लांघ जाते है। ऐसा करना उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अतीक अहमद एक बड़ा माफिया डॉन था जिसने खुद ही पुलिस हिरासत के दौरान भी अपनी हत्या की आशंका जताई थी और कोर्ट में भी गुहार लगाई थी। इस बात से खबरिया चैनलों के पत्रकार भी अनभिज्ञ नहीं थे।
इसके बावजूद उन्होने अतीक अहमद और उसके भाई की बाईट लेने के लिए उसे घेर रखा था। उसी का फायदा उठाकर पत्रकार के रूप में वहां पहुंचे तीनों हत्यारों ने अतीक अहमद और उसके भाई को ढेर कर दिया। इस दोहरे हत्याकांड के लिए भले ही पुलिस की चूक को जिम्मेदार माना जा रहा है और १६ कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया गया है लेकिन इस घटना के लिए नैतिक रूप से वे खबरिया चैनल भी जिम्मेदार है जो लगातार अतीक अहमद का साए की तरह पीछा करते रहे है और पल पल की खबर दिखाते रहे है।
पहली बार सड़क के रास्ते 25 घंटे में अतीक अहमद को साबरमती से प्रयागराज ले जाया गया था। पूरे रास्ते दर्जनों न्यूज चैनलों की गाडिय़ां पुलिस के काफिले के साथ चलती रही थीं और मिनट टू मिनट रिपोर्टिंग हो रही थी। टीवी चैनलों ने अतीक अहमद के पेशाब करने तक की रिपोर्टिंग की थी। अदालत में पेशी के बाद उसी दिन शाम को फिर अतीक को साबरमती ले जाया गया था।
इस पूरे ड्रामे का टेलीविजन के सभी न्यूज चैनलों ने सीधा प्रसारण किया था। अब समय आ गया है कि मीडियाकर्मियों की भी हद तय की जाएं और खूंखार अपराधियों के आसपास भी उन्हे भटकने न दिया जाएं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस प्रकरण के बाद अब इस बारे में शासन प्रशासन उचित कदम उठाएगा।