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संपादकीय: ईवीएम पर आईएनडीआईए में दरार

Crackdown in INDIA over EVMs

Crackdown in INDIA over EVMs

Crackdown in INDIA over EVMs: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस के अलावा शरद पवार और उद्धव ठाकरे लगातार ईवीएम पर निशाना साध रहे हैं। वे अपनी हार को पचा नहीं पा रहे हैं। और ईवीएम के सहारे पूरी चुनाव प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।

किन्तु ईवीएम को लेकर अब आईएनडीआईए में ही दरार पडऩे लगी है। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेन्स के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ईवीएम पर सवाल उठाने के मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यदि वास्तव में ईवीएम में कोई खराबी है तो कांग्रेस को चाहिए कि वह सबूतों के साथ चुनाव आयोग से शिकायत करें।

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में इसी ईवीएम से चुनाव हुए है और वहां नेशनल कांफ्रेन्स और कांग्रेस के गठबंधन को जीत मिली है। इसी तरह बंगाल में भी लगातार तीन बार तृणमूल कांग्रेस चुनाव में प्रचंड़ बहुमत से जीत दर्ज कर अपनी सरकार बनाती रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सीटें बढ़ी हैं और वह लोकसभा कांग्रेस व समाजवादी पार्टी के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।

इसीलिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी ईवीएम को लेकर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के विधवा विलाप पर तंज कसा है। जाहिर है ईवीएम के सिर पर अपनी हार का ठिकरा फोडऩे वाले दलों पर अब आईएनडीआईए में शामिल अन्य पार्टियां ही आपत्ति उठा रही है।

इसके बाद भी शरद पवार और उद्धव ठाकरे के अलावा महाराष्ट्र के कांग्रेसी नेता ईवीएम को लेकर लगातार बेसुरा राग अलाप रहे है। दरअसल महाराष्ट्र में इन तीनों की ही शर्मनाम पराजय हुई है। बजाय अपनी हार की समीक्षा करने के ये लोग ईवीएम पर ही उंगली उठाकर अपनी कमजोरी पर पर्दा डालने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं।

उमर अब्दुल्ला और अभिषेक बनर्जी ने ठीक ही कहा है कि यदि इनके पास ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करने के सबूत हैं तो ये चुनाव आयोग में शिकायत करें किन्तु इनके पास सबूत कुछ भी नहीं है इसलिए ये गाल बजा रहें हैं। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने पूर्व में ही ईवीएम पर सवालिया निशान लगाने वालो को चुनौती दी थी कि वे चुनाव आयोग में आकर ईवीएम को हैक करके दिखाये। उसकी चुनौती को किसी भी राजनीतिक पार्टी ने स्वीकार नहीं किया था।

बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था और सुप्रीम कोर्ट ने भी ईवीएम को क्लीन चीट दे दी थी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम को लेकर एक और जनहित याचिका दायर की गई थी उसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था साथ ही यह तल्ख टिप्पणी भी की थी कि आप जहां चुनाव जीत जाते हैं वहां ईवीएम में आप को कोई खराबी नजर नहीं आती और जहां आप चुनाव में पराजित हो जाते हैं

वहां आपको ईवीएम में गड़बड़ी नजर आती है इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है। सुप्रीम कोर्ट से लगातार दो बार विपक्ष को झटका लग चुका है और सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि मतदान बैलेट पेपर से नहीं कराया जाएगा ईवीएम से ही मतदान होगा।

इसके बाद भी ईवीएम पर संदेह जताना इन पार्टियों की मानसिकता को दर्शाता है जो अपनी हार को स्वीकारने की जगह ईवीएम और चुनाव आयोग के माथे पर दोषारोपण कर रही है। बेहतर होगा कि ईवीएम पर रोना धोना बंद कर ये अपनी पार्टी के पराजय के कारणों की गंभीरतापूर्व समीक्षा करे और बीती ताही बिसा कर आगे की सुध लें।

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