कोरोना (corona virus) का कहर थमने (Havoc) का नाम नहीं ले रहा है। भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों (Corona infected patients in India) की संख्या 7 लाख (7 lakhs) से अधिक हो गई है वहीं मृतकों की संख्या भी 20,000 के पार हो चुकी हे।
विशेषज्ञों के मुताबिक बरसात के मौसम में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में कोरोना से निपटने के लिए सरकार को कारगर पहल करनी होगी। कोरोना (corona virus) की वैक्सीन अभी तक नहीं बन पाई है और न ही निकट भविष्य में इसके बनने की कोई संभावना नजर आ रही है।
जाहिर है भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में यदि कोरोना वायरस का प्रकोप इसी तरह बढ़ता रहा तो भारत जो अभी इस मामले में दुनिया में अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे नंबर पर है वह आने वाले कुछ माह बाद पहले नंबर पर भी पहुंच सकता है।
सरकार ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा करने के बाद देश के अधिकांश राज्यों से लॉकडाउन हटाकर अनलॉक कर दिया है उसके बाद से ही प्रतिदिन 15 से 20 हजार की तादात में कोरोना संक्रमित (corona virus) मरीज सामने आ रहे है।
इसका मतलब साफ है कि लोगों ने अनलॉक का अर्थ यह मान लिया है कि अब कोरोना का खतरा टल चुका है और वे स्वच्छंद आचरण करने लगे है। प्रधानमंत्री की अपील के बावजूद न तो लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे है और न ही मास्क लगाना जरूरी समझ रहे है।
आम नागरिेकों की बात छोडि़ए नेता भी सोशल डिस्टेंंसिंग की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे है। विरोध प्रदर्शन के नाम पर रैलियां की जा रही है जिसमें बड़ी संख्या में संबंधित पार्टी के कार्यकर्ता बगैर मास्क लगाए शामिल होते है।
जब नेता ही ऐसा आचरण करेंगे तो जनता भी कैसे सरकारी दिशा निर्देशों को पालन करेेगी। केन्द्र सरकार को चाहिए कि एक बार फिर वे विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना (corona virus) को लेकर विस्तृत चर्चा करें और सभी की सहमती से नए सिरे से गाईड लाईन जारी करें।
आने वाले कुछ माह बेहद चुनौति पूर्ण होंगे अत: यह आवश्यक है कि कम से कम चार-पांच माह के लिए ऐसे सभी राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों पर कड़ाई पूर्वक रोक लगाई जाए जिसमें बड़ी संख्या में लोग जूटते है। जब तक ऐसे कड़े नियम नहीं बनाए जाएंगे तब तक कोरोना से जंग जीत पाना मुश्किल होगा।