देश की सहकारिता प्रणाली (Cooperative Bank Expansion India) अब शहरी ढांचे में नई ऊर्जा के साथ विस्तार की ओर बढ़ रही है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार को दिल्ली में आयोजित ‘को-आप कुंभ (Co-op Kumbh 2025)’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि अगले पांच वर्षों में दो लाख से अधिक आबादी वाले हर कस्बे में कम से कम एक शहरी सहकारी बैंक (Urban Cooperative Bank) स्थापित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, यह केवल वित्तीय निवेश का नहीं, बल्कि (Employment Generation through Cooperatives) रोजगार सृजन और छोटे उद्यमियों के सशक्तिकरण का भी अभियान है। सहकारिता कोई सरकारी योजना नहीं, बल्कि समाज की आत्मा है। जितनी यह पारदर्शी, अनुशासित और तकनीकी रूप से सक्षम होगी, उतना ही भारत का विकास मॉडल मजबूत बनेगा।
डिजी-लोन मोबाइल एप की शुरुआत
अमित शाह ने इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दो नए मोबाइल एप ‘सहकार डिजी-पे (Sahakar Digi-Pay)’ और ‘सहकार डिजी-लोन (Sahakar Digi-Loan)’ लॉन्च किए। उन्होंने कहा कि डिजिटल लेन-देन (Digital Transactions) अब समय की जरूरत है और शहरी सहकारी बैंकों को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए इसे अपनाना ही होगा।
उन्होंने घोषणा की कि दो वर्षों में 1,500 से अधिक शहरी सहकारी बैंक इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ जाएंगे। शाह ने बताया कि पिछले दो वर्षों में इन बैंकों की वित्तीय स्थिति (Financial Health) में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। एनपीए दर 2.8 प्रतिशत से घटकर 0.6 प्रतिशत रह गई है।
छोटे शहरों तक बैंकिंग पहुंचाने पर जोर
सहकारिता मंत्री ने राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक एवं ऋण समितियों महासंघ (NAFCUB) से कहा कि उन्हें क्षेत्रीय असमानता को खत्म करने और छोटे शहरों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि (PACS Computerization Initiative) प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) के मॉडल को अब लगभग सभी राज्यों ने स्वीकार कर लिया है, जिससे कंप्यूटरीकरण और सेवाओं के विस्तार का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
अमूल और इफको बने सहकारिता के वैश्विक प्रतीक
अमित शाह ने सहकारिता की दो प्रमुख संस्थाओं अमूल (Amul) और इफको (IFFCO) – की वैश्विक उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहकारी संघ (ICA) ने अमूल को विश्व की नंबर-1 और इफको को नंबर-2 सहकारी संस्था का दर्जा दिया है। उन्होंने बताया कि अमूल 36 लाख किसानों की साझेदारी से रोजाना तीन करोड़ लीटर दूध एकत्र कर रही है, जिसका वार्षिक टर्नओवर 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक है।
वहीं, इफको ने 93 लाख टन यूरिया और डीएपी का उत्पादन कर न केवल भारत की हरित क्रांति को सशक्त किया है, बल्कि अब अपने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी (Nano Urea & Nano DAP) का निर्यात ब्राज़ील, अमेरिका, ओमान और जॉर्डन जैसे 40 से अधिक देशों में कर रहा है।
शाह ने कहा कि सरकार का अगला लक्ष्य युवाओं को सहकारिता आंदोलन (Youth in Cooperative Movement) का सक्रिय भागीदार बनाना है। इससे न केवल रोजगार के नए अवसर बनेंगे, बल्कि समाज के हर वर्ग तक आर्थिक आत्मनिर्भरता की भावना भी पहुंचेगी।

