देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस जिसने केन्द्र में लगभग 6 दशकों तक अपनी सरकार चलाई, इन दिनों नेतृत्व संकट के चलते संक्रमण काल से गुजर रही है। स्थिति यह है कि हरियाणा और महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस ने एक तरह से अपनी हार स्वीकार कर ली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने बयान दिया है कि आज कांग्रेस जिस स्थिति में है उसे देखते हुए इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को जीत मिलना मुश्किल है।
उन्होंने पार्टी को बदलते देश के अनुरूप पार्टी में बदलाव की नसीहत दी है। गौरतलब है कि मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम ने तो पार्टी की रीति और नीति से नाराज होकर यहां तक दावा कर दिया है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस दो-चार सीटों को छोड़कर बाकी जगह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएगी। कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने यह बयान दिया है कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बुरी तरह थक चुके हैं इसलिए इन दोनों पार्टियों को अब फिर से एक हो जाना चाहिए।
इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि कांग्रेस किस स्थिति में पहुंच गई है कि अब उसे क्षेत्रीय पार्टियों से समझौता करना पड़ रहा है। इन सब के बावजूद कांग्रेस के बड़बोले नेता विवादास्पद बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने फ्रांस से खरीदे गए पहले राफाल विमान की शस्त्र पूजा पर सवालिया निशान लगाते हुए इसे तमाशा करार दिया है। उनके इस बयान से कांग्रेस की किरकिरी हो रही है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस हिन्दू धर्म और संस्कृति का माखौल उड़ा रही है। दरअसल कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है कि उसका नेतृत्व कमजोर पड़ गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दिया तो सोनिया गांधी कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष बन गई हैं। जिनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। अभी तक कांग्रेस पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पा रही है।
यही वजह है कि भाजपा उसपर हमला कर रही है और यह आरोप लगा रही है कि कांग्रेस के पास आज न तो नेता है और न ही कोई नीति है। कांग्रेस को आत्मचिंतन करना चाहिए। और पार्टी में प्राण फूंकने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। तभी वह इस संक्रमण काल से गुजर कर एक मजबूत पार्टी के रूप में अपनी पहचान कायम रख पाएगी।