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संपादकीय: अलग थलग पडऩे लगी है कांग्रेस

Congress is becoming isolated

Congress is becoming isolated

Congress is becoming isolated: नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होने के कारण अब वहां त्रिकोणीय मुकाबला होना तय हो गया है। जबकि पिछला लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था लेकिन दोनों को ही एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी। नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे की चर्चा चली थी लेकिन बात नहीं बनी।

इस बीच लोकसभा में कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। शिवसेना यूबीटी के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी आम आदमी पार्टी को समर्थने देने का ऐलान कर दिया है।

तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा लालू प्रसाद यादव तथा शरद पवार जैसे विपक्षी नेता पहले ही आईएनडीआईए का नेतृत्व ममता बनर्जी को देने की बकालत कर चुके हैं। लिहाजा नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अलग थलग पड़ गई है और वहां भाजपा के मुकाबले आईएनडीआईए दो प्रमुख घटक दल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस भी आमने सामने आ गई है।

कांग्रेस के अकेला चुनाव लडऩे के कारण आम आदमी पार्टी को अपने वोट कटने का खतरा नजर आ रहा है। इसी वजह से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के बीच भी जुबानी जंग तेज होती जा रही है वैसे तो नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अभी भी आम आदमी पार्टी और भाजपा के मुकाबले में कही नजर नहीं आ रही है पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। कांग्रेस पार्टी को मात्र 4 प्रतिशत वोट मिले थे। इसी से इस बात का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि कांग्रेस की स्थिति नई दिल्ली में किस कदर खराब हो चुकी है।

दरअसल आम आदमी पार्टी ने ही कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई है। अब कांग्रेस पार्टी अकेले अपने बलबूते पर नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में कितनी सीटें लाती है और वोट काटकर आम आदमी पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाती है यह देखना दिलचस्प होगा। जहां तक समाजवादी पार्टी का प्रश्न है तो आम आदमी पार्टी को उसका समर्थन मिलने से आम आदमी पाटी को लाभ मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली में उत्तरप्रदेश और बिहार मूल के 25 प्रतिशत मतदाता है जो इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। पूर्वांचल के इन मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच जोर आजमाइश चल रही है।

यह वोट बैंक जिधर जाएगा उसकी जीत लगभग तय हो जाएगी। बहरहाल नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही मुकाबले में न दिख रही हो लेकिन वह चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकती है। नई दिल्ली की कई सीटों पर आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है और ऐसी हाइ प्रोफाइल सीटों पर कांग्रेस ने भी दमदार प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं जिसकी वजह से वहां मुकाबला रोचक हो गया है और कांग्रेस पार्टी को मिलने वाले वोट ही उन सीटों का चुनावी नतीजा तय करेंगे।

फिलहाल तो नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेताओं की भागीदारी नहीं हो पाई है। जबकि भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा हो गई है और आम आदमी पार्टी तो चुनावी तैयारी में पहले से ही सबसे आगे चल रही है। कुछ दिनों बाद जब कांग्रेस के बडे नेता भी मोर्चे पर डटेंगे तो चुनावी माहौल बदल सकता है और तीनों ही पार्टियों के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है।

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