Congress Discord : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का संक्रमण काल कुछ ज्यादा ही लंबा चल रहा है। अंतर्कलह से जूझती कांग्रेस को पार्टी में बढ़ रही गुटबाजी का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। इसी के चलते मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिर चुकी है और राजस्थान में भी गहलोत सरकार जब तब संकट में आती रही है। पंजाब का उदाहरण सामने है जहां कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी नई पार्टी बनाकर कांग्रेस के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में चुनौती खड़ी कर दी है।
गोवा में भी कांग्रेस अंतर्कलह (Congress Discord) का शिकार है। कश्मीर में भी गुलाम नबी आजाद को पार्टी में पर्याप्त महत्व न मिलने से कश्मीर के कांग्रेसी बगावत पर उतारू नजर आ रहे है। अब उतराखण्ड में भी कांग्रेस के खण्ड-खण्ड होने का खतरा नजर आ रहा है। उतराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत ने पार्टी नेतृत्व पर सवालिया निशान लगा दिए है। उन्होने उत्तराखण्ड में पार्टी संगठन के कामकाज पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि पार्टी लगातार कमजोर हो रही है।
हरिश रावत के इस बयान के बाद जाहिर है कि उत्तराखण्ड में कांग्रेस की अंतर्कलह (Congress Discord) और गहरा सकती है। जहां कुछ माह बाद ही चुनाव होने वाले है। दरसअल कांग्रेस आलाकमान पार्टी में गहराते अंतर्कलह और गुटबाजी को दूर करने में उतनी रूची नहीं ले रहा है जो अपेक्षित है। यही वजह है कि पार्टी के भीतर असंतोष उभरने लगा है, एक के बाद एक कई नेता कंाग्रेस से किनारा करते जा रहे है जिससे पार्टी और कमजोर हो रही है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कांग्रेस पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो रहा है।
लंबे समय से पार्टी अध्यक्ष का चुनाव ही नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस जैसी पार्टी का कमजोर पडऩा देशहित में नहीं है। लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष का होना अतिआवश्यक है ताकि सत्तारूढ़ पार्टी की मनमानी पर अंकुश लगे, किन्तु कंाग्रेस चुनाव दर चुनाव हारकर लगातार कमजोर हो रही है जिसकी वजह से अब उसे क्षेत्रिय दलों का पिछलग्गू बनना पड़ रहा है। यह ठीक नहीं है, कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत रहना जरूरी है ताकि वह सशक्त विपक्ष की भूमिका निभा सके, पार्टी आलाकमान को इसपर गहन चिंतन मनन करना चाहिए।