Colorless festival : इस बार दीपावली पर्व के पूर्व ही महंगाई ने पर्व का रंग फीका कर दिया है। दो साल से कोरोना के चलते लोगों की आमदनी वैसे ही कम हो गई है ऊपर से महंगाई नित नई ऊचाईयां छू रही है। पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के दामों में लगातार इजाफा हो रहा है जिसका सीधा असर आम आदमी के घरेलू बजट पर पड़ रहा है।
ट्रांस्पोर्टिग महंगी हो जाने के कारण आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगे है जिसकी वजह से महंगाई की मार से आहत आम आदमी त्यौहार कैसे मनाएं यह यक्ष प्रश्न उसके सामने मुंह बाएं खड़ा हो गया है।
अनाज और किराना के साथ ही लगभग सभी वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ गए है। यहां तक कि हरी सब्जियां भी आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही है। जिसकी वजह से लोगों के भोजन की थाली से हरी सब्जियां गायब हो रही है, यहां तक कि टमाटर और हरी धनियां की चटनी भी मुश्किल से नसीब हो रही है। कमर तोड़ महंगाई के खिलाफ विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है।
कांग्रेस पार्टी सहित अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर आंदोलन प्रदर्शन कर रहे है लेकिन सरकार महंगाई पर काबू (Colorless festival) पाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठा रही है। जब तक पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर लगाम नहीं लगेगी तब तक महंगाई पर अंकुश लग पाना असंभव है। उम्मीद की जानी चाहिए कि त्यौहारों पर पड़ती महंगाई की मार को मद्देनजर रख कर सरकार आम आदमी को राहत देने के लिए जल्द से जल्द कड़े कदम उठाएगी।
टमाटर की महंगाई से देश की आम जनता परेशान है, अब प्याज की कीमतें भी रुलाने की तैयारी कर रही हैं. पिछले एक महीने में थोक बाजार में प्याज कीमतें दोगुनी हो गई हैं. व्यापारियों का कहना है कि इस बार त्योहारी सीजन में प्याज महंगी ही रहेगी और मध्य जनवरी से पहले राहत की उम्मीद नहीं है।
देश के प्याज उत्पादक कई इलाकों में भारी बारिश की वजह से प्याज की गर्मियों की फसल को भारी नुकसान (Colorless festival) हुआ है और जाड़े के फसल की बुवाई में देरी हुई है। गौरतलब है कि इसके पहले टमाटर की कीमतों के काफी बढऩे की खबर आई थी । कोलकाता में तो खुदरा बाजार में टमाटर 93 रुपये किलो तक पहुंच गया है।
गौरतलब है कि प्याज की कीमत राजनीतिक रूप से काफी संवदेनशील मसला रहा है। हर साल प्याज की कीमत कुछ महीने इसी वजह से रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाती है और इस साल फिर से कीमतें ऊपर की ओर जा रही हैं। जानकारों का कहना है कि इस बार प्याज उत्पादक इलाकों में सितंबर महीने में जमकर बारिश हुई है।
इसकी वजह से फसल को काफी नुकसान हुआ है और उसमें कई बीमारियां भी लगी हैं। देश में प्याज उत्पादक प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में सितंबर में सामान्य से 268 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।