Site icon Navpradesh

संपादकीय: शीतकालन सत्र में शीत युद्ध

Cold War in the Winter Session

Cold War in the Winter Session

Editorial: संसद के शीतकालीन सत्र में पहले ही दिन प्रथम ग्रासे मच्छिका भाते वाली कहावत चरितार्थ हो गई जब संसद सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने एसआईआर को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया। नजरतन लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही बार बार बाधित हुई और फिर पूरे दिन के लिए दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। इसके पूर्व परंपरा अनुसार सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसमें सभी राजनीतिक पार्टियों के सांसदों से आग्रह किया गया था कि वे सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करें। इस पर सभी पार्टियों ने सहमति जताई थी लेकिन संसद की कार्यवाही शुरू होते ही उन्होंने हंगामा खड़ा करना शुरू कर दिया।

एसआईआर को लेकर विपक्ष तत्काल चर्चा कराने की मांग पर अड़ा हुआ है। जबकि सरकार का कहना है कि वह एसआईआर सहित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन इन पर चर्चा नियमानुसार ही कराई जाएगी। किन्तु विपक्ष अपनी जिद पर ही अड़ा हुआ है। गौरतलब है कि संसद के पिछले सत्र में भी एसआईआर को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तकरार हुई थी। और इसी वजह से सदन की कार्यवाही में व्यवधान पड़ा था। इस बार भी विपक्ष द्वारा इसी मुद्दे को लेकर हंगामा करने की आशंका थी और इसे के मद्देनजर संसद सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद परिसर में पत्रकारों के साथ चर्चा के दौरान कहा था कि विपक्ष सदन में सकारात्मक भूमिका निभाए।

बिहार विधानसभा में मिली पराजय की हताशा को न निकाले क्योंकि सदन में ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए। पीएम मोदी की यह नसीहत भी विपक्ष को चुभ गई और उन्होंने संसद के पहले ही दिन सदन में वोट चोर गद्दी छोड़ के नारे लगाते हुए शोरगुल मचाना शुरू कर दिया और फिर सदन से बर्हिगमन करके संसद परिसर में जाकर प्रदर्शन करना प्रारंभ कर दिया। दूसरे दिन भी दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। इस बारे में ससंदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि सरकार एसआईआर और चुनावी सुधारों पर चर्चा से पीछे नहीं हट रही है लेकिन विपक्ष इसके लिए समय सीमा थोपने की जिद न करें।

कुल मिलाकर एसआईआर के मुद्दे को लेकर शीतकालीन सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच शीत युद्ध शुरू हो गया है जिसके चलते यह सत्र भी जिसमें सिर्फ 15 बैठकें होनी है और एक दर्जन विधेयकों पर चर्चा होनी है वह भी हंगामों की भेंट चढ़ सकता है। यह ठीक है कि सदन को सुचारू रूप से चलाना सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है लेकिन विपक्ष को भी सदन की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए यदि विपक्ष अपने अडियल रवैये को नहीं छोड़ेगा तो सरकार क्या कर सकती है। बेहतर होगा कि सत्तापक्ष और विपक्ष मिलकर सदन में जारी गतिरोध को दूर करें और सदन की कार्यवाही को चलने दें।

Exit mobile version