डॉ. ओ.पी. त्रिपाठी। Clean Examination System : पिछले दिनों राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) के दौरान अनोखे ढंग से नकल करने का मामला सामने आया है। पुलिस के मुताबिक यह लोग अपने चप्पल में छिपाए गए ब्लूटुथ के जरिए नकल करने की फिराक में थे। राजस्थान पुलिस ने परीक्षा से पूर्व तीन परीक्षार्थियों सहित पांच लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है। वहीं इन चीटिंग चप्पल्स के बारे में जानकारी जुटाने में टीम लगी हुई है।
पुलिस ने नकल करने वाले गिरोह को शिकंजे में तो ले लिया है लेकिन ‘चीटिंग चप्पलों’ की गुत्थी नहीं सुलझा पा रही है। पुलिस के मुताबिक यह किसी छोटी इंडस्ट्री जैसा लग रहा है। इन चप्पलों को बेहद चालाकी के साथ तैयार किया गया है। कुछ रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों को हार्डवेयर के साथ इसे दो लाख रुपए में बेचा गया है।
हाल ही में यूपी पुलिस ने नीट साल्वर गैंग के कई सदस्यों को पकड़ा था। पुलिस ने त्रिपुरा की हिना बिस्वास की जगह बीएचयू की छात्रा जूली को पेपर देते हुए पकड़ा था। इसी के बाद अन्य लोगों की धरपकड़ में पुलिस लगी थी। अब तक बहन-भाई और मां समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गैंग के सरगना पीके के खिलाफ भी अहम जानकारी मिली है। सारनाथ पुलिस टीम और क्राइम ब्रांच ने गैंग मुखिया विकास महतो के साथ राजू नामक एक अन्य युवक को भी पकड़ा है।
दोनों के कब्जे से नीट परीक्षा से संबंधित अभ्यर्थियों के शैक्षिक दस्तावेज, फोटोग्राफ, आधार कार्ड एवं एडमिट कार्ड के अलावा 2 मोबाइल फोन व एक लैपटॉप बरामद हुआ है। गिरोह में लखनऊ, बिहार, त्रिपुरा और बेंगलुरु के लोग शामिल हैं। यह लोग नीट परीक्षा में बैठने वाले लड़के लड़कियों की तलाश करते थे जो कि फर्जी तरीके से परीक्षा पास करने के लिए इनसे संपर्क करते थे। उनके डॉक्यूमेंट व फोटो आदि रुपए लेकर पीके उर्फ प्रेम कुमार और नीलेश को भेज देते थे।
यूपी में वर्ष 2018 में राजकीय इंटर कॉलेजों में 10 हजार से ज्यादा सहायक अध्यापकों (एलटी ग्रेड) की भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा से पहले ही एसटीएफ ने लखनऊ, आगरा, कानपुर व इलाहाबाद में ताबड़तोड़ छापेमारी कर 51 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें डॉक्टर, इंजिनियरिंग कॉलेज के टीचर, इंटर कॉलेज के लेक्चरर तक हैं। एसटीएफ का दावा है कि ये सभी पेपर लीक व सॉल्वर गैंग के जरिए परीक्षा में सेंध लगाने की तैयारी में थे।
बीते अगस्त में यूपी टीजीटी 2021 परीक्षा (Clean Examination System) से पहले यूपी एसटीएफ ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों से सॉल्वर गिरोह का भंडाफोड़ किया था। एसटीएफ ने प्रयागराज, कौशांबी, अंबेडकरनगर और जौनपुर में से कुल 18 सदस्यों को गिरफ्तार किया, जिनमें से सात प्रयागराज, तो दो कौशांबी में पकड़े गए। इसके अलावा इनमें अंबेडकरनगर से छह, जौनपुर से दो और आजमगढ़ से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के कब्जे से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस समेत अन्य सामान बरामद हुए हैं। ये सममस्या केवल यूपी तक ही सीमित नहीं है। पेपर साल्वर गैंग और पेपर लीक कराने वाले गैंग देशभर में सक्रिय हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि बेहद सख्ती के बावजूद पेपर लीक होने की बीमारी संबंधित पक्षों में मिलीभगत के कारण बदस्तूर जारी है। इसका एकमात्र इलाज ऑनलाइन परीक्षाएं करवाना है। परीक्षाएं करवाने के लिए एक अलग बोर्ड बनवाया जाए, जिसमें उसी समय तीन या चार प्रकार के प्रश्न पत्र तैयार करवाए जाएं और पेपर शुरू होने से पहले बोर्ड का केंद्रीय अधिकारी परीक्षा केंद्रों में टीवी स्क्रीन पर प्रश्न-पत्र विद्यार्थियों के लिए प्रदर्शित करे। जब तक पेपर का समय खत्म न हो पेपर सेट करने वाले लोग वहीं रहें। इस तरह पेपर लीक नहीं होगा। परीक्षा केंद्रों के अंदर-बाहर चुस्त-दुरुस्त तथा सख्त प्रबंध होने चाहिए।
पेपर बनाने वाली, प्रिंट कराने वाली एजेंसियों के भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी ही मुख्य रूप से पेपर लीक करने के मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं, जिसमें राजनीतिक भ्रष्टाचार भी शामिल है। इस सारी प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए अलग से सेल बनाने की जरूरत है, जिसमें उच्चकोटि के ईमानदार अधिकारी हों तथा जो आधुनिक साइबर तंत्र प्रणाली से लेस हो। सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति तथा जुर्म करने वाले को सख्त सजा का प्रावधान भी अति आवश्यक है। पीपर लीक होना योग्य बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय है। पेपर लीक होने का मुख्य कारण है रातों-रात धन कुबेर बनने की चाहत।
अभी हरियाणा पुलिस में भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने में लाखों करोड़ों का लेन-देन हुआ। परीक्षा आयोजन में सरकार का काफी मात्रा में खर्च किया गया धन बेकार गया। उम्मीदवारों का परिश्रम, आने-जाने में हुआ व्यय, परीक्षा शुल्क सब बेकार हुआ। व्यवस्था तंत्र के प्रति लोगों का विश्वास डगमगाया। सुप्रीम कोर्ट को भी तल्ख टिप्पणी करनी पड़ी।
पेपर लीक की जिम्मेदारी तो उनकी ही है जो पेपर सेट करने में, चुनाव करने में, प्रिंटिंग करने व करवाने में और परीक्षा केंद्रों तक पेपर पहुंचाने की व्यवस्था संभाल रहे थे। ईमानदार अधिकारियों को इस महत्वपूर्ण कार्य को सम्पन्न कराने की जिम्मेवारी लेनी होगी।देश में पेपर लीक करने वाले गिरोह सक्रिय हैं, जिसके चलते एक सुनियोजित तरीके से कार्य हो रहा है। इस वजह से योग्य उम्मीदवार सफलता से वंचित रह जाते हैं।
बिना पैसे के घालमेल के ऐसा होना असम्भव है। बार-बार पेपर लीक होने से तो सरकार का नौकरी का दावा खोखला नजर आ रहा है। परीक्षाओं में नकल होने से मेहनती बच्चे अपने आप को ठगा-सा महसूस करते हैं। लोगों में परीक्षा की पवित्रता का भरोसा कायम रखने के लिए अपराधियों को सख्त सजा देने व पूरे सिस्टम की व्यापक समीक्षा की जरूरत है। किसी भी शैक्षिक या प्रतियोगी परीक्षा का पेपर लीक (Clean Examination System) होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण विषय है। पेपर लीक की निरंतर पुनरावृत्ति से राष्ट्र की युवाशक्ति का भविष्य अंधकारमय हो रहा है।