चीन वायरस कोरोना (China corona virus) ने पूरी दुनिया (world)में कोहराम मचा रखा है। भारत (India) में भी अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण (infection) से चार लाख (four lakhs) से अधिक लोग संक्रमित हो गए है। कोरोना का कहर दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। सारी दुनिया के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए वाक्सीन बनाने के काम में जुटे हुए है लेकिन उन्हे सफलता नहीं मिल पा रही है।
इस बीच भारत के योग गुरू बाबा रामदेव ने कोरोना की दवा बनाने का दावा किया है। पतंजली ने कोरोनील नामक दवा बनाई है जिसके बारे में यह दावा किया जा रहा है कि इसके सेवन से सात दिनों के भीतर कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हो सकता है। बाबा रामदेव के मुताबिक इस दवा का कोरोना संक्रमित १०० लोगों पर परिक्षण किया गया और वे सभी पूरी तरह स्वस्थ हो गए है। इस कोरोना किट का मूल्य लगभग ६०० रूपए रखा गया है।
बाबा रामदेव का कहना है कि जो गरीब लोग यह दवा नहीं खरीद सकते उन्हे वे नि:शुल्क उपलब्ध कराएंगे। कोरोना की इस दवा को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है, भारतीय आयुष मंत्रालय ने बाबा रामदेव से कहा है कि वे अभी इस दवा का प्रचार न करें और कोरोनील के बारे में आयुष मंत्रालय का पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं। पतंजली ने आयुष मंत्रालय को इस बारे में विस्तृत जानकारी दे भी दी है, अब इस दवा का परिक्षण होगा उसके बाद ही यह कहा जा सकेगा कि कोरोनील कोरोना वायरय को खत्म करने में कितनी कारगर है।
बाबा रामदेव द्वारा कोरोना की दवा बनाने के दावे के बाद से अंतर्राष्ट्रीय दवा लाबी इसके विरोध में उतर आई है। ऐलोपैथिक दवाओं के अरबों खरबों का कारोबार करने वाले आयुर्वेदिक दवा को अभी से फेल कर रहे है। इस दवा कंपनियों के चंदे से पलने वाले लोग भी कोरोनील के विरोध में उतर आएं है। यह ठीक है कि कोरोनील का परिक्षण किया जाना चाहिए किन्तु बगैर उसका परिक्षण किए उसे फर्जी करार देना कतई उचित नहीं है।
बाबा रामदेव की पतंजली और भी कई उत्पाद बनाती है जो बड़ी मात्रा में बिक रही है। ऐसे में बाबा रामदेव कोरोनील नामक दवा बनाकर बनाते है तो जरूर उसमें कुछ खासियत होगी, वे अपनी पतंजली की प्रतिष्ठा को आघात नहीं पहुंचा सकते। बेहतर होगा कि कोरोना की दवा का सुक्ष्म परिक्षण किया जाए और जब तक उसके नतीजे सामने नहीं आते तब तक कोरोनील को लेकर व्यर्थ का बखेड़ा खड़ा न किया जाए।