Change Tone : पड़ौसी देश पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर भारत की विदेश नीति की सराहनी की है। वे इसके पहले भी कई बार भारत की विदेश नीति की शान में कसीदे पढ़ चुके है। पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने पहले तो बेसूरा कश्मीर राग अलापा और अब वे फिर भारत के साथ द्विपक्षी संबंधों को मजबूत बनाने और बंद पड़े व्यापारिक संबंधों को फिर से बहाल करने की वकालत कर रहे है।
पाकिस्तानी हुक्मरानों के ये बदले हुए सुर (Change Tone) यह साबित करते है कि अब उन्हे भारत की बढ़ती ताकत को कबूल करने में कोई हिचक नहीं हो रही है। इसकी वजह साफ है कि भारत से पंगा मोल लेकर पाकिस्तान आज की तारीख में न सिर्फ दुनिया से अलग थलग पड़ चुका बल्कि दिवालिएपन की कगार पर पहुंच गया है। जो हालत आज श्रीलंका की है देर सवेर वैसी ही स्थिति पाकिस्तान में भी निर्मित हो सकती है।
जहां महंगाई अपनी चरम सीमा पर पहुंच रही है, लोगों का जीना मुहाल होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में श्रीलंका के लोगों की तरह ही पाकिस्तान की आवाम भी कभी भी सरकार के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंकते हुए सड़कों पर उतर सकती है। पाकिस्तान ने पहले ही अमेरिका से अपने संबंध खराब कर लिए है और उसका नया दोस्त चीन भी अब पाकिस्तान की मदद से अपना हाथ खींचने लगा है।
नतीजतन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है। यही वजह है कि पाकिस्तान अब भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को फिर से कायम करने की कवायद कर रहा है और बार बार भारत के साथ बेहतर संबंधों की ख्वाहिश जाहिर कर रहा है, लेकिन भारत को उसपर यकीन नहीं करना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान गले लग कर पीठ में छुरा घोपने की अपनी आदत से बात नहीं आ सकता।
अभी पाकिस्तान (Change Tone) मुसीबतों से घिरा है इसलिए भारत के साथ संबंध सामान्य बनाने की गुजारिश कर रहा है लेकिन बाद में फिर वह अपनी असली औकात में आ जाएगा। इसलिए भारत को चाहिए कि वह पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध हरगिज शुरू न करें बल्कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत विश्व मंचों पर उसे बेकनाब करें क्योंकि अभी भी वह कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने से बात नहीं आ रहा है और अब तो उसने खालिस्तानियों को भी प्रश्रय देना शुरू कर दिया है। जाहिर है पाक के इरादे नापाक है और उसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्दाफाश करना भारत के लिए हितकर है।