रायपुर/नवप्रदेश। CAIT : कैट की मांग है कि देश में केवल 15 प्रतिशत आबादी ही बड़े ब्रांड का सामान उपयोग करती है जबकि 85 प्रतिशत जनता बिना ब्रांड या मार्का वाले उत्पादों से ही जीवन चलाती है। इन वस्तुओं को जींएसटी के कर स्लैब में लाना एक अन्यायपूर्ण कदम है, जिसको काउन्सिल द्वारा वापिस लेना चाहिए और तत्काल राहत के रूप में इस निर्णय को अधिसूचित न किया जाए।
व्यापारियों का संगठन छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (CAIT) के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी और उनकी पूरी टीम ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जीएसटी काउंसिल के हाल ही में लिए गए फैसले का विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि चिह्नित खाद्यान्न जैसे मक्खन, दही, लस्सी, दाल आदि को 5% टैक्स स्लैब में लाने की तैयारी की गई है। छत्तीसगढ़ चेम्बर का कहना है कि देश के सभी राज्यों के वित्त मंत्री सीधे रूप से जीएसटी काउंसिल द्वारा गत 28-29 जून को लिए गए फैसले के लिए ज़िम्मेदार हैं क्योंकि जीएसटी काउन्सिल ने यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया है जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं।
बुनियादी वस्तुओं को कर के दायरे में लाना सही नहीं
छत्तीसगढ़ चेम्बर और अन्य खाद्यान्न संगठनों ने कहा कि यह निर्णय छोटे निर्माताओं और व्यापारियों के मुकाबले बड़े ब्रांड के व्यापार में वृद्धि करेगा और आम लोगों द्वारा उपयोग में लाने वाली वस्तुओं को महंगा करेगा। अब तक ब्रांडेड नहीं होने पर विशेष खाद्य पदार्थों, अनाज आदि को जीएसटी से छूट दी गई थी। काउन्सिल के इस निर्णय से प्री-पैक, प्री-लेबल वस्तुओं को अब जीएसटी के कर दायरे में लाया गया है।
इसको लेकर देश भर के विभिन्न राज्यों में अनाज, दाल एवं अन्य उत्पादों के राज्य स्तरीय संगठनों ने अपने अपने राज्यों में व्यापारियों के सम्मेलन बुलाने का क्रम शुरू कर दिया है और लामबंद हो रहे हैं। अब तक ब्रांडेड नहीं होने पर विशेष खाद्य पदार्थों, अनाज आदि को जीएसटी से छूट दी गई थी। कॉउन्सिल के इस निर्णय से प्री-पैक, प्री-लेबल वस्तुओं को अब जीएसटी के कर दायरे में लाया गया है। अनब्रांडेड प्रीपैक्ड खाद्यान्नों जैसे आटा, पोहा इत्यादि पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी का प्रावधान किया गया है।
दुकानदारों को भी चुकाना होगा जीएसटी
इस निर्णय के अनुसार अब अगर कोई किराना दुकानदार भी खाद्य पदार्थ अपनी (CAIT) वस्तु की केवल पहचान के लिए ही किसी मार्का के साथ पैक करके बेचता है तो उसे उस खाद्य पदार्थ पर जीएसटी चुकाना पड़ेगा। इस निर्णय के बाद प्री-पैकेज्ड लेबल वाले कृषि उत्पादों जैसे पनीर, छाछ, पैकेज्ड दही, गेहूं का आटा, अन्य अनाज, शहद, पापड़, खाद्यान्न, मांस और मछली (फ्रोजन को छोड़कर), मुरमुरे और गुड़ आदि भी महंगे हो जाएंगे जबकि इन वस्तुओं का उपयोग देश का आम आदमी करता है।