BJP’s test by fire in Jammu Kashmir : जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई है। वहां की क्षेत्रीय पार्टियों ने चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है।
कांग्रेस भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियों ने भी जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में कश्मीर का दो दिवसीय दौरा कर भी चुके हैं।
और कांग्रेस ने डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेन्स के साथ गठबंधन करने का ऐलान भी कर दिया है। इस गठबंधन से महबूबा मुफ्ती की पार्टी को अलग रखा गया है।
ऐसी स्थिति में वहां अब त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन सकती है। खासतौर पर कश्मीर घाटी में अब तक नेशनल कांफ्रेन्स और टीडीपी के बीच ही मुकाबला होता रहा है।
वहां कांग्रेस को जरूर कुछ सीटें मिल जाती थी लेकिन भाजपा को वहां कभी भी एक सीट भी नहीं मिल पाई। आज से दस साल पहले जब वहां महबूबा मुफ्ती और भाजपा ने मिलकर सरकार बनाई थी तो महबूबा मुफ्ती की टीडीपी को कश्मीर घाटी में 27 सीटें मिली थी और भाजपा को जम्मू क्षेत्र में 25 सीटें मिली थी।
दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई थी लेकिन महबूबा मुफ्ती की पाकिस्तान परस्ती के कारण भाजपा ने अपना समर्थन वापस ले लिया और महबूबा मुफ्ती की सरकार गिरने के बाद वहां राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था।
अब एक दशक बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। जो भाजपा के लिए अग्नि परीक्षा के समान हैं। यदि भाजपा को जम्मू कश्मीर में अपनी सरकार बनानी है तो उसे जम्मू संभाग की सभी 43 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी और यह भी उम्मीद करनी होगी की कश्मीर घाटी में कुछ अन्य क्षेत्रीय पार्टियां भी पांच सात सीटें जीत पाए।
जिनके समर्थन से भाजपा वहां सरकार बनाने में सफल हो पाए। इधर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेन्स के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी से कलह शुरू हो गई है।
दरअसल नेशनल कांफ्रेन्स जम्मू संभाग की दस विधानसभा सीटों पर भी अपना दावा ठोक रही है। जिसका जम्मू संभाग के कांग्रेसी नेताओं द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है। यदि सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेन्स के बीच तकरार बढ़ती है तो इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।
वैसे भी भाजपा का पूरा जोर जम्मू संभाग में क्लीन स्वीप करने पर होगा। क्योंकि इस बार भी कश्मीर घाटी में भाजपा का खाता खुल पाना असंभव की हद तक कठिन होगा।
भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि महबूबा मुफ्ती के अलग पडऩे से कश्मीर घाटी में वोटों का बंटवारा हो जाएगा। बहरहाल जम्मू कश्मीर में एक दशक बाद हो रहे चुनाव उस प्रदेश की दिशा तय करेंगे।