Editorial: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वैसे तो फ्री रेवड़ी कल्चर के विरोधी माने जाते हैं लेकिन इस बार उन्होंने भी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को मद्देनजर रखकर बिहार के लोगों को फ्री बिजली का लालीपॉप थमा दिया है। बिहार सरकार ने एन चुनाव के पूर्व यह निर्णय लिया है कि बिहार में 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जाएगी। एक अगस्त से बिहार के डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिलने लगेगा।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने वोट कबाडऩे के लिए वहां के लोगों से यह वादा किया है कि यदि उनकी सरकार बनी तो बिहार में 200 यूनिट तक बिजली फ्री की जाएगी। महागठबंधन के इस लोकलुभावन वादे की काट के रूप में ही नीतीश कुमार को भी फ्री रेवड़ी बांटने पर विवश होना पड़ा है।
वैसे भी मुफ्त बिजली का यह फॉर्मूला अनेक राज्यों में सफल रहा है। पहले पहल आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त बिजली के वादे के दम पर ही नई दिल्ली में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी। फिर इसी फ्री रेवड़ी कल्चर को उन्होंने पंजाब में भी लागू किया और वहां भी दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाने में सफल हुए। उनकी देखा देखी कांग्रेस और भारत ने भी फ्री बिजली का फार्मूला अपनाया और इसका उन्हें चुनाव में लाभ भी हुआ। यही वजह है कि नीतीश कुमार को भी यह फार्मूला अपनाने के लिए विवश होना पड़ा है।
दरअसल आम आदमी पार्टी ने मतदाताओं को प्रलोभन परोसकर अन्य सभी राजनीतिक पार्टियों को भी फ्री रेवड़ी कल्चर अपनाने के लिए विवश कर दिया है। भले ही मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली ऐसी घोषणाओं से राज्य का दिवाला निकल जाये लेकिन उनकी सरकार तो बन ही जाती है। नतीजतन अब फ्री रेवड़ी कल्चर के घोर विरोधी भी मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने के लिए बाध्य हो रहे हैं।