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BIG BREAKING: सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला..आरक्षण को किया…

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नई दिल्ली। maratha reservation: उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में मराठा समुदाय को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने वाले सामाजिक एवं शैक्षिणक पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम-2018 को बुधवार को यह कहते हुए असंवैधानिक करार दिया कि यह पूर्व में लागू 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव , न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पांच सदस्यीय पीठ ने संबधित मामले की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि 2018 अधिनियम के संशोधन अधिनियम-2019 के तहत मराठा समुदाय के लिए आरक्षण (maratha reservation) की सीमा बढ़ाने के लिए कोई असाधारण स्थिति नहीं है और यह अधिनियम 50 प्रतिशत की सीमा सीमा से अधिक है जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है।

न्यायालय ने कहा, राज्यों के पास संसद द्वारा किए गए संशोधन के कारण सामाजिक रूप से पिछड़ी जाति की सूची में किसी भी जाति को जोडऩे की कोई शक्ति नहीं है। राज्य केवल जातियों की पहचान कर सकते हैं और केंद्र को सुझाव दे सकते हैं। केवल राष्ट्रपति ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा निर्देशित एसईबीसी सूची में जाति को जोड़ सकते हैं। न्यायालय ने हालांकि यह भी कहा कि स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रम और नए कोटा कानून के तहत पहले से की गई नियुक्तियों पर आज के फैसले से कोई असर नहीं पड़ेगा।

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