Best Health Insurance In India : आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बढ़ते मेडिकल खर्च और लाइफस्टाइल डिजीज़ (Lifestyle Diseases) ने हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) को हर इंसान के लिए ज़रूरी बना दिया है। लेकिन क्या केवल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आपके लिए काफी है? जवाब है – नहीं।
दरअसल, हेल्थ इंश्योरेंस जहां अस्पताल में भर्ती और इलाज का खर्च उठाता है, वहीं कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों के लंबे इलाज में यह पूरी तरह कारगर नहीं होता। यही वजह है कि क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस (Critical Illness Policy) को अलग से लेना समझदारी है।
हेल्थ इंश्योरेंस बनाम क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस
1. कवरेज का फर्क
हेल्थ इंश्योरेंस: OPD, हॉस्पिटलाइजेशन, सर्जरी और अन्य मेडिकल खर्चों को कवर करता है।
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस: कैंसर, स्ट्रोक, हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर जैसी बीमारियों पर एकमुश्त रकम (लंपसम) देता है। यह पैसा सिर्फ इलाज पर ही नहीं, बल्कि घर के अन्य खर्च या लोन चुकाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
2. क्लेम करने का तरीका
हेल्थ इंश्योरेंस: जरूरत पड़ने पर कई बार क्लेम किया जा सकता है।
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस: आमतौर पर जीवनभर(Best Health Insurance In India) में केवल एक बार क्लेम किया जा सकता है।
3. प्रीमियम का अंतर
हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम ज़्यादा होता है क्योंकि इसमें कई तरह के मेडिकल खर्च शामिल होते हैं।
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस का प्रीमियम अपेक्षाकृत कम होता है, क्योंकि यह केवल कुछ चुनिंदा बीमारियों को कवर करता है।
4. नॉन-मेडिकल खर्च
हेल्थ इंश्योरेंस: केवल अस्पताल और मेडिकल बिल तक सीमित।
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस: एकमुश्त रकम से आप EMI, बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च आदि भी मैनेज कर सकते हैं।
क्यों जरूरी है दोनों पॉलिसी लेना?
हेल्थ इंश्योरेंस = अस्पताल का खर्च
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस = लंबे इलाज और कमाई रुक जाने पर सहारा
दोनों पॉलिसी साथ लेने से आपकी फैमिली का फाइनेंशियल फ्यूचर(Best Health Insurance In India) और भी सुरक्षित हो जाता है।