रायपुर/नवप्रदेश। Bank Strike : सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण करने के खिलाफ बैंक कर्मियों ने कल और आज कामकाज को बंद रखकर हड़ताल किया। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर बंजारी वाले बाबा चौक की स्थित पंजाब नेशनल बैंक के पास जुटे बैंक फेडरेशन के अधिकारी और बैंक कर्मियों ने नारेबाजी की।
कर्मियों ने दो दिनी हड़ताल करके बैंक को निजीकरण करने के खिलाफ बंद रखने का निर्णय लिया है। प्रदेश के बैंक बंद रहने से उपभोक्ताओं को खासे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस बात पर है आक्रोश
गुरुवार सुबह 10.30 बजे बैंक कर्मचारियों द्वारा मोतीबाग चौक स्थित पंजाब नेशनल बैंक के सामने प्रदशर्न किया गया तो दूसरे दिन भी बैंककर्मियों और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। छत्तीसगढ़ बैंक एम्पलाइज फेडरेशन के महामंत्री शिरीष नलगुंडवार ने संबोधित करते हुए कहा कि बैंकों के निजीकरण से बैंक कर्मियों का नुकसान होगा। रिटायरमेंट से पहले कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
नलगुंडवार सहित अन्य पदाधिकारियों ने कहा बैंकों के निजीकरण से बैंकों का कोई फायदा नहीं हो रहा है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को निजीकरण से नुकसान उठाना पड़ेगा। मांग किया कि निजीकरण के बदले बैंक के ग्राहकों को मिलने वाली सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से निजीकरण किया जाना काफी ज्यादा नुकसानदायक साबित होगा।
बैंकिंग प्रबंधन का दावा ATM है फुल
बैंक कर्मचारियों की इस हड़ताल को देखते हुए प्रबंधन ने दावा किया है कि सभी एटीएम फुल कर दिए गए है और उपभोक्ता को किसी भी प्रकार से परेशानी नहीं होगी। इसके साथ ही बैंक की आनलाइन सेवाएं भी जारी रहेंगी। उपभोक्ता इनका उपयोग कर सकते है। विभिन्न क्षेत्रों में बैंकों के एटीएम में लोगों की लाइन भी देखी गई।
बैंकों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित
बैंक हड़ताल के पहले दिन देश भर में सरकारी बैंकों का कामकाज प्रभावित रहा। इन बैंकों के ग्राहकों को बैंको का कामकाज बंद होने की वजह से काफी दिक्कत हुई। वे अपनी राशि बैंकों में तो जमा नहीं ही करा पाए। वे अपनी शाखा से पैसे की निकासी भी नहीं कर पाए। इसके साथ ही चेक क्लियरिंग और ऋण मंजूरी जैसी सेवाएं के ठप होने से भी उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इस हड़ताल का आह्वान करने वाले बैंक कर्मचारी (Bank Strike) और अधिकारी संगठनों का कहना है कि हड़ताल का आज भी पूरा असर दिखेगा। उनका कहना है कि हड़ताल का यह मतलब नहीं है कि सभी कर्मचारी और अधिकारी घर बैठ जाएंगे। इसका मतलब है कि वे ब्रांच तो आएंगे लेकिन वे सामान्य कामकाज करने के बजाए ब्रांच के बाहर बैठ कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। वे सरकार की बैंक निजीकरण की नीतियों के खिलाफ नारे लगाएंगे। इससे ग्राहकों को असुविधा हो सकती है।
हड़ताल का आह्वान किया
यह हड़ताल अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन सहित नौ बैंक संघों के मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने बुलायी है। कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों की निजीकरण करने के सरकार के फैसले के खिलाफ हड़ताल कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण (Bank Strike) की घोषणा की थी। यूनियन के नेताओं का दावा है कि उनके हड़ताल को कांग्रेस, द्रमुक, भाकपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना समेत कई राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है।