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संपादकीय: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले चिंतनीय

Attacks on Hindus in Bangladesh are worrying

Hindus Attacks are worrying

Hindus Attacks are worrying: पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से वहां रह रहे लगभग सवा करोड़ हिन्दुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। कट्टरपंथी संगठन हिन्दुओं की दुकानों और मकानों में आग लगा रहे हैं। हिन्दु मंदिरों को निशाना बना रहे हैं।

यह सिलसिला लगातार चल रहा है। बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार को लेकर भारतीय संसद में भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई और भारत सरकार ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से कहा है कि वहां हिन्दुओं के जान माल की रक्षा की जाए।

बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने भारत को भरोसा भी दिया है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। वे खुद हिन्दुओं से मिलने जाएंगे।

जो अब अपने ऊपर हो रहे जुल्म के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। किन्तु अभी भी बांग्लादेश में हिंसा का नंगा नाच बदस्तूर जारी है। भारत का विपक्ष भी बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो रहे अन्याय को लेकर खामोशी की चादर ओढ़े हुए है।

जबकि इस समय भारत का सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को ही मिलकर बांग्लादेश में हिन्दुओं (Hindus Attacks are worrying) को निशाना बनाए जाने की घटना का मुखर विरोध करना चाहिए और बांग्लादेश की तथाकथित अंतरिम सरकार को दो-टूक शब्दों में यह चेतावनी देनी चाहिए कि यदि बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ अत्याचार नहीं रोका गया तो बांग्लादेश को इसका दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।

गौरतलब है कि बांग्लादेश में भारत ने भारी निवेश किया है। बांग्लादेश में आधे से ज्यादा बिजली भारत से ही जाती है। अनाज की सप्लाई भी भारत से ही होती है। यदि भारत ने बांग्लादेश से व्यापारिक संबंध तोड़ लिए तो बांग्लादेश के सामने भूखों मरने की नौबत आ जाएगी।

अब समय आ गया है कि बांग्लादेश के खिलाफ भारत सरकार कठोर रूख अख्तियार करें और इसके लिए मानवाधिकार की दुहाई देने वाले वैश्विक संगठनों पर भी दबाव बनाए कि वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को निशाना बनाए जाने की घटना को रोकने के लिए आगे आए।

खास तौर पर दुनिया का चौधरी बनने वाले अमेरिका को भी इसमें दखल देना चाहिए। किन्तु अमेरिका ने भी इस मामले में चुप्पी साध रखी है। इसकी वजह तो यही लगती है कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ या हो रहा है वह अमेरिका के इशारे पर ही हुआ है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने तो अमेरिका पर यह आरोप भी लगाया है कि उनकी सरकार का तख्ता पलट कराने में अमेरिका की ही भूमिका है।

शेख हसीना ने आरोप लगाया है कि यदि मैंने सेंट मार्टिन आईलैंड की संप्रभुता को छोड़ दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर नियंत्रण करने का अधिकार दे दिया होता तो मेरी सरकार कायम रहती।

मैंने अमेरिका की इस पेशकश को नामंजूर कर दिया था। इसीलिए अमेरिका ने बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों की मदद की। जिन्होंने छात्रों को बरगला कर बांग्लादेश में अराजकता का माहौल बनाया।

जिसके चलते मुझे देश छोडऩा पड़ा। यदि मैं देश नहीं छोड़ती तो वहां और हिंसा भड़कती जिससे हजारों लोग मारे जाते। शेख हसीना के इस आरोप से यह स्पष्ट हो गया है कि बांग्लादेश के घटनाक्रम के पीछे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय साजिश की गई है।

जिसमें पाकिस्तान और चीन के अलावा अमेरिका का भी हाथ है। यही वजह है कि बांग्लादेश में ङ्क्षहसा को लेकर ये देश अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं। चूंकि बांग्लादेश में बड़ी संख्या में हिन्दू रह रहे हैं और हिंसा के शिकार बन रहे हैं।

इसलिए भारत को अब अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को पुरजोर ढंग से उठाना चाहिए और इसके लिए अपने कूटनीतिक प्रयास तेज कर देने चाहिए।

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