दमा
Asthma: इस रोग की शुरूआत पेट के विकार से या जठर, आंत प्रणाली के किसी दूसरे अंग में होने वाले किसी विकार के कारण होती है। दमा रोग के लक्षण फेफड़ों में दिखाई देते हैं। फेफड़ों पर दबाव पड़ने के कारण इसका बुरा प्रभाव हृदय पर भी पड़ता है। इसमें रोगी की नाक में कफ का इकट्ठा होना या रूकावट होना या छींके आना आदि शिकायतें देखी जाती हैं।
दमा का उपचार
- रोगी को दही, उड़द की दाल, गोभी, तेल-मिर्ची के खाद्यपदार्थों तथा अधिक मसालों का सेवन न करायें।
- दही, लस्सी, केला, अमरूद खट्टी और तली हुई चीजें तो इस रोग में बहुत हानिकारक हैं।
- सुहागे की खील का चूर्ण बनाकर उसमें मुलहठी का चूर्ण बनाकर बराबर मात्रा में मिलाकर आधे से एक ग्राम की शहद की मात्रा के साथ चाटें।
इससे श्वास नली के रोग या कष्ट दूर होकर दमा, खांसी और जुकाम से लाभ होता है। अंजीर दमा के रोगियों के लिए लाभदायक है। दो तीन अंजीर गर्म पानी से धोकर रात्रि को साफ बर्तन में भिगों दें। नाश्ते से पूर्व उन अंजीरों को खूब चबाकर खायें। उसके बाद वह पानी पी लें।
- दमे के रोगी को एकदम हल्का भोजन करना चाहिए। किशमिश, मुनक्का व कुलत्थ की दाल इस रोग में लाभकारी है।
- अगस्त्य रसायन में पाया जाने वाला मुख्य द्रव्य हरीतकी (हरड़) है और च्वयनप्राश को मिलाकर खाने से रोगी को लाभ होता है।
- हरड़, बहेड़ा और आंवला, विधार, असगन्ध, काली मिर्च, सौंठ, वायविडंग, पुनर्नवा, चित्रक की जड़-पांच छः ग्राम की गोलिां बना लें। छाया में सुखाकर एक गोली प्रातः दूध में लेने से दमें में लाभ होता है।
Asthma बाजरे के दाने जितनी हींग दो चम्मच शहद में मिलाकर लें। प्याज के आधा चम्मच रस में पानी का एक चम्मच मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से दमे के रोगी को लाभ होता है। पालक के पत्तों और दो चम्मच मेथी दाना का काढ़ा बना लें। इसमें चुटकी भर अमोनिया क्लोराइड और शहद मिलाकर 30 मिली. की मात्रा दिन में तीन बार देते रहने से लाभ होगा।
-दमे के रोगी के लिए विटामिन ई लाभदायक है। यह अंकुरित गेहूं, सोयाबीन, पिस्ता, सूरजमुखी का तेल, नारियल, घी, मक्खन, टमाटर, अंगूर ओर सूखे मेवों से प्राप्त होता है। इनका प्रयोग करने से विटामिन ई की पूर्ति हो जाती है।
– चार-छः लौंग एक कप पानी में उबालकर और शहद मिलाकर दिन में तीन बार थोड़ा-थोड़ा पीने से दमा ठीक होता है। इससे श्वास नली की रूकावट दूर होती है।
पुदीने के एक चम्मच रस में दो चम्मच असली सिरका, समान मात्रा में शहद और चार औंस गाजर का रस मिलाकर प्रतिदिन देने में दमा और ब्रोंकाइटिस में लाभ होता है। इसके प्रयोग से दमे के दौरे कम हो जाते हैं और श्वासनली की रूकावट दूर होती है। सौंफ में बलगम साफ करने के गुण हैं। यदि दमे के रोगी इसके काढ़े को नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं तो निश्चित रूप से लाभ होगा। -शहद अपने आप में बहुत उपयोगी औषधि है।
- इससे स्वर यन्त्र के कष्ट दूर होने में सहायता मिलती है। एक चम्मच अदरक के रस को मेथी के एक कप काढ़े में शहदमिलाकर खाने से दमे में लाभ होता है।
- – सूरजमुखी के बीज दमा के रोगी के लिए बहुत लाभदायक हैं। सूरजमुखी के बीजों के एक चम्मच चूर्ण में दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में एक या दो बार देना चाहिए।
- – सूरजमुखी के फूलों के काढ़े में शहद मिलाकर मिलाकर सेवन करने से भी दमें में लाभ होता है। तथा श्वांस नली के कष्ट दूर होते हैं।
- – करेले की जड़ के एक चम्मच चूर्ण में शहद मिलाकर रात्रि के समय देने से दमे के रोगी की रात आराम से कटती है। लगभग एक माह तक देने से आशातीत लाभ होता है
– अंगूर दमे के रोगी के लिए बहुत लाभदायक है। अंगूर और अंगूर का रस दोनों का प्रयोग कर सकते हैं। कुछ चिकित्सकों का तो यहां तक कहना है कि दमें के रोगी को अगूर के बाग में रखा जाए तो शीघ्र लाभ होगा।
दमा, जुकाम, खांसी ब्रोंकाइटिस के रोगी को सन्तरे के रस में थोड़ा नमक और शहद मिलाकर देने से लाभ होता है। लहसुन दमे के रोगी के लिए बहुत ही आवश्यक है। दमे के रोगी को लहसुन की तीन-चार गुलियां दूध में उबालकर रात को सोने से पूर्व सेवन करने से अत्यन्त लाभ होता है। इससे रोगी का दमा भी बैठे जाता है तथा रोगी रात भर चैन से सोता है।
सहिजन के पत्तों का सूप 20 मिली. के लगभग तैयार कर उसमें थोड़ा नमक, काली मिर्च और नींबू का रस मिलाकर पीने से दमा, ब्रोंकाइटिस और क्षय तथा अन्य श्वांस सम्बन्धी रोग दूर होते हैं। लहसून की एक गांठ छीलकर 120 मिली. असली सिरके में (सिन्थेटिक सिरके में नहीं) अच्छी तरह मसल और मथकर उबालें।
ठण्डा होने पर उसे छानें और उसमें बराबर की मात्रा में शहद मिलाकर साफ बोतल में भरकर रखें। मेथी के काढ़े के साथ सायंकाल और सोने से पूर्व एक या दो चम्मच उक्त शरबत लेने से दमे की तीव्रता कम होती है।
– चौलाई के पत्तों का ताजा रस निकालकर शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से पुराने दमे में भी लाभ होता है। दमे के कारण कमजोर रोगियों के लिए चौलाई का साग अमृत के समान होता है। चौलाई का किसी भी रूप में प्रयोग करते रहने से आदमी असमय बूढ़ा नहीं होता।
यह उपाय इंटरनेट के माध्यम से संकलित हैं कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करके ही उपाय करें