Site icon Navpradesh

संपादकीय: अरविंद केजरीवाल का विवादास्पद बयान

Arvind Kejriwal's controversial statement

Arvind Kejriwal's controversial statement

Arvind Kejriwal’s controversial statement: नई दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान नई दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने विवादास्पद बयान देकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। खुद को हनुमान भक्त बताने वाले अरविंद केजरीवाल ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए रामचरित मानस की ऐसी व्याख्या की है कि उसकी घोर अलोचना हो रही है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वनवास के दौरान जब भगवान श्री राम भोजन की तलाश में जंगल में गये हुए थे तब कुटिया में सीता जी ने लक्ष्मण से कहा कि वे सोने के हिरण को पकड़कर लायें। केजरीवाल के मुताबिक रावण ने सोने के हिरण का रूप धारण किया था और जब लक्ष्मण जी उसे पकडऩे गये तो रावण अपने असली रूप में आ गया और सीता जी का हरण करके ले गया।

खुद को सबसे पढ़ा लिखा नेता बताने वाले अरविंद केजरीवाल से ज्यादा तो अनपढ़ लोग रामायण का ज्ञान रखते हैं। अरविंद केजरीवाल को तो उनकी ही पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने आइना दिखाया है उन्होंने कहा है कि सोने के हिरण का भेष मारिच ने धारण किया था।

रावण नहीं और सोने के हिरण को पकडऩे श्री राम गये थे लक्ष्मण। लगता है केजरीवाल जी ने ठीक से अपना भाषण नहीं रटा था। इधर भाजपा ने भी अरविंद केजरीवाल के इस अधकचरे ज्ञान को लेकर उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने तो अरविंद केजरीवाल के इस बयान को रामायण का अपमान बताते हुए एक दिवसीय उपवास भी रखा है।

अन्य भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि खुद को हनुमान भक्त कहने वाले अरविंद केजरीवाल चुनावी हिन्दू हैं। वे जानबूझकर सनातन धर्म के साथ इस तरह का खिलवाड़ करते हैं कुल मिलाकर अरविंद केजरीवाल के इस बयान की चौतरफा निंदा हो रही है। अरविंद केजरीवाल हो या अन्य कोई नेता जिन्हें हिन्दू धर्मग्रंथों की जानकारी नहीं है उन्हें इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए।

जिससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। अन्यथा वे न सिर्फ अपने अधकचरे ज्ञान से हास्य का पात्र बनेंगे बल्कि इस तरह के बेतुके बयानों के कारण चुनाव में वे खुद भी नुकसान उठायेंगे और अपनी पार्टी की भी नैया डुबाएंगे। बेहतर होगा कि अरविंद केजरीवाल अपने इस विवादास्पद बयान के लिए माफी मांग ले अन्यथा नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

Exit mobile version