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संपादकीय: अखिलेश यादव का मानसून आफॅर

Akhilesh Yadav's monsoon offer

Akhilesh Yadav's monsoon offer

Akhilesh Yadav’s monsoon offer: इस बार के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उत्तरप्रदेश में 37 सीटें जीतकर एक नया कीर्तिमान रचा है। वह उत्तरप्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं देश में वह भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।

यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हवा में उडऩे लगे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया है कि मानसून ऑफर है सौ लाओ और सरकार बनाओ उनके इस मानसून ऑफर से नया बवाल खड़ा हो गया है।

भाजपा नेता उनके इस मानसून आफॅर की कडी आलोचना कर रहे हैं। और यह आरोप लगा रहे हैं कि अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को तोडऩा चाहते हैं। हालांकि अखिलेश यादव ने अपने इस पोस्ट में ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि यह मानसून ऑफर उत्तरप्रदेश के लिए है या केन्द्र के लिए है।

गौरतलब है कि जब केन्द्र में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनी और भाजपा की सीटें कम हो गई तो कांग्रेस सहित आईएनडीआईए में शामिल पार्टियों ने हर संभव कोशिश की थी कि एनडीए की सरकार न बन पाए। चूंकि भाजपा को अकेले अपने दम पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था।

इसलिए आईएनडीआईए के नेता जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और तेलुगू देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू पर डोरे डाल रहे थे और उन्हें बाकायदा प्रधानमंत्री पद का आफॅर भी दे रहे थे। यह बात अलग है कि उनका यह अभियान असफल रहा।

इसके बाद भी कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियां अभी भी यह दावा कर रही है कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी और मध्यावधि चुनाव होकर रहेगा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक लालू प्रसाद यादव ने तो भविष्यवाणी कर दी है कि मोदी सरकार अगस्त महीने में गिर जाएगी।

उन्होंने तो राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ताओं से यह आव्हान भी कर दिया है कि वे मध्यावधि चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। अब अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav’s monsoon offer) भी इसी तरह का शिगूफा छोड़ रहे हैं। और उत्तरप्रदेश भाजपा में चल रही खटपट को लेकर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को गिराने के लिए मुंगेरी लाल की तरह हसीन सपने देख रहे हैं।

भाजपा से सौ विधायकों का अलग होना कोई हंसी खेल नहीं है। दरअसल यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के बीच उपजे मतभेद के कारण अखिलेश यादव को यह लग रहा है कि केशव प्रसाद मौर्या भाजपा से अलग हो सकते हैं।

इसीलिए वे उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रलोभन परोस रहे हैं। समाजवादी पार्टी के अन्य नेता ऐसे बयान देकर आग में घी डालने का काम कर रहे हैं कि केशव प्रसाद मौर्या का भाजपा में अपमान हो रहा है।

समाजवादी पार्टी के सुर में सुर मिलाते हुए उत्तरप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने भी दावा किया है कि उत्तरप्रदेश भाजपा में असंतोष गहरा रहा है और योगी आदित्यनाथ की सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

जबकि ऐसा कुछ नहीं है। 403 सीटों वाली उत्तरप्रदेश विधानसभा में भाजपा की 251 सीटें हैं और सहयोगी दलों की सीटें मिलाकर उसके पास 282 सीटें हो जाती हैं। जो बहुमत के आंकड़े से बहुत ज्यादा है। जबकि समाजवादी पार्टी के पास 105 सीटें हैं और उसकी सहयोगी कांग्रेस के पास सिर्फ दो सीटें हैं।

ऐसे में उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार को कोई खतरा नहीं है। इसके बाद भी अखिलेश यादव इस तरह का शिगूफा छोड़ रहे हैं तो उसका उद्देश्य सिर्फ इतना है कि उत्तरप्रदेश की 10 विधानसभा सीटों के लिए जो उपचुनाव होने जा रहे हैं। उसमें वे भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना सके।

जबकि हकीकत यह है कि खुद अखिलेश यादव इन उपचुनाव को लेकर दबाव और तनाव में हैं। यही वजह है कि पहले तो उन्होंने सभी 10 सीटों पर अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी थी लेकिन अब वे तीन सीटें कांग्रेस को देने के लिए राजी हो गए हैं।

कुल मिलाकर अखिलेश यादव का यह मानसून ऑफर सिर्फ एक शिगूफेबाजी ही है।संपादकीय: अखिलेश यादव का मानसून आफॅर

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