Agricultural Law : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा कर के देश से क्षमा मांगी है। उन्होने भरे मन से अपने संबोधन में कहा कि हमने यह कानून देश के 80 प्रतिशत छोटे किसानों के हित को ध्यान में रखकर बनाया था लेकिन कुछ किसानों को हम समझा नहीं पाए। ऐसा लगता है कि हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई थी इसलिए केन्द्र सरकार अब इन तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने जा रही है।
संसद के आगामी सत्र में इन कानूनों के वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। प्रधानमंत्री की इन घोषणा का संयुक्त किसान मोर्चा सहित सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने स्वागत किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भरोसा दिलाया है कि उनकी सरकार किसानों के हित में काम करती रहेगी और एमएसपी को और प्रभावी बनाएगी। उनकी इस घोषणा से साफ है कि वे किसानों की नाराजगी और ज्यादा मोल नहीं लेना चाहते।
गौरतलब है कि पिछले एक साल से किसान संगठन इस कानून का विरोध कर रहे है और दिल्ली बार्डर पर डेरा डाले बैठे है। हालांकि अब किसानों का आंदोलन कमजोर पडऩे लगा था, इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अचानक यह घोषणा कर के सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित जन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है वहां विपक्ष ने इन कृषि कानूनों (Agricultural Law) को प्रमुख मुद्दा बनाकर भाजपा को घेरने की तैयार कर रखी थी।
अब उनके हाथों से यह मुद्दा छीन गया। वहीं किसान नेता राकेश टिकैत भी अब बेरोजगार हो गए। पिछले एक साल से किसान आंदोलन के नाम पर सुर्खियां बंटोरने वाले राकेश टिकैत को पीएम मोदी ने जोर का झटका धीरे से दे दिया। उन्होने आंदोलनरत् किसान संगठनों के नेताओं से बातचीत किए बगैर अप्रत्याशित रूप से इन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर के उन्हे हैरत में डाल दिया।
इसकी हताशा राकेश टिकैत के चहते पर साफ झलक रही है, यही वजह है कि उसने संसद में यह कानून (Agricultural Law) वापस न होने तक किसान आंदोलन जारी रखने की बात कही है। बहरहाल केन्द्र सरकार ने राष्ट्रहित में देर से ही सही दुरूस्त फैसला किया है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।