Agricultural Law : संसद में तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी पर पहले दिन ही मुहर लग गई। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही इन तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया। इस तरह किसान संगठनों की मुख्य मांग पूरी हो गई। अब इसके बाद किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने तथा आंदोलन के दौरान ७०० किसानों की मौत के लिए मुआवजा, उनकी स्मृति में शहीद स्मारक बनाने तथा पलारी और बिजली बिल आदि को लेकर जो मांगे रखी है उसपर भी सरकार ने विचार करने का और इसके लिए एक कमेटी बनाने का वादा किया है।
इसके बाद अब किसानों को अपना यह आंदोलन खत्म कर देना चाहिए क्योंकि सरकार के सतारात्मक रवैए के बाद अब किसान आंदोलन (Agricultural Law) का कोई औचित्य नहीं रह गया है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी यही बात कही है और उन्होने नई दिल्ली के बार्डर पर जमे किसानों से वापस लौट जाने की अपील की है। उनकी अपील के बाद पंजाब के किसान लौटने भी लगे है किन्तु इसके बाद भी किसान नेता राकेश टिकैत अभी भी अपनी हठधर्मिता दिखा रहे है और आंदोलन को आगे भी जारी रखने की बात कर रहे है।
अब तो उन्होने सरकार को धमकी भी दी है कि यदि उनके साथ सरकार ने बातचीत नहीं कि तो वह याद रखें कि 26 जनवरी आने वाली है और किसानों के 4 लाख ट्रैक्टर भी है। राकेश टिकैत ने धमकी भरे महजे में कहा है कि सरकार अपना दिमाग ठीक कर लें और गुंडागर्दी करने की कोशिश न करें। राकेश टिकैत का यह बयान बताता है कि ने किस कदर बौखला चुके है। लगभग एक साल से अधिक समय तक किसानों का आंदोलन चला लेकिन सरकार ने किसानों के प्रति कोई कड़ी कार्यवाही नहीं की।
उल्टे किसानों के आंदोलन के नाम पर देश की राजधानी नई दिल्ली में पिछले २६ जनवरी को खुलकर गुंडागर्दी की गई यहां तक कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का अपमान भी किया गया और सैकड़ों पुलिसवालों पर हमले किए गए। इसके बावजूद पुलिस ने संयम से काम लिया। अलबत्ता हिंसा करने वाले कथित किसानों के खिलाफ एफआईआर जरूर दर्ज की गई। अब राकेश टिकैत चाहते है कि जिन किसानों के खिलाफ अराजकता फैलाने के लिए रिपोर्ट दर्ज की गई है उनके केस वापस लिए जाएं।
इस पर भी सरकार ने विचार करने का आश्वासन दिया है फिर भी राकेश टिकैत आंदोलन को जारी रखने की रट लगाए हुए है जो यही दर्शाता है कि वे इस आंदोलन की आड़ में अपना उल्लू सीधा करने की फिराक में है अन्यथा कोई कारण नहीं दिखता कि जब तीनों कृषि कानून (Agricultural Law) वापस ले लिए गए है और किसान संगठनों की अन्य मांगों पर विचार करने के लिए सरकार तैयार है फिर भी राकेश टिकैत आखिर क्यों इस तरह की धमकी चमकी दे रहे है और आंदोलन को लंबी खीचने की कोशिश कर रहे है।