Afghans Against Taliban : अफगानिस्तान में तालिबान ने अंतरिम सरकार का गठन कर लिया है जिसमें चुन चुन कर कुख्यात आतंकवादियों को मंत्री पद से लेकर प्रधानमंत्री पद से नवाजा गया है। तालिबान सरकार के गठन के पहले ही बरादर गुट और हक्कानी गुट ने खूनी संघर्ष भी हुआ। इन दोनों की गुटों के आतंकवादियों को तालिगान की सरकार में शामिल किया गया है।
इसी के साथ अफगानिस्तान में अब गृह युद्ध के हालात बनने लगे है। तालिबानियों के खिलाफ पूरे अफगानिस्तान (Afghans Against Taliban) में बगावत की चिंगारी उठने लगी है जो कभी भी शोलों के रूप में तब्दील हो सकती है। पंजशीर में तो नार्दन एलायंस ने तालिबान के खिलाफ बाकायदा जंग छेड़ रखी है और इस जंग में न सिर्फ तालिबान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है बल्कि तालिबान की मदद करने पहुंची पाकिस्तानी सेना की बटालियन को भी मंहु की खानी पड़ी है। कई पाकिस्तानी सैनिक मारे गए है और बड़ी संख्या में घायल भी हुए है।
पाकिस्तानी सेना की बटालियन का कमांडर पंजशीर से पीठ दिखाकर भागने पर मजबूर हो गया है जो अब काबूल में छिपकर बैठा है। पंजशीर के शेरों की बहादुरी को देखकर अफगानिस्तान के अन्य हिस्सों में भी अब अफगानी लोग तालिबान (Afghans Against Taliban) की मुखालफत में सड़कों पर उतरने लगे है। बड़ी संख्या में महिलाएं भी तालिबानी आतंक के खिलाफ सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रही है।
अपने खिलाफ हो रहे इस प्रदर्शन से बौखलाकर तालिबानी आतंकवादी अब बर्बरता पर उतर आए है। उन्होने काबूल में प्रदर्शनकारी महिलाओं पर कोड़े बरसाएं है, यही नहीं बल्कि इस प्रदर्शन को कव्हरेज देने वाले पांच पत्रकारों को गिरफ्तार भी कर लिया है और इनमें से दो पत्रकारों की बेरहमी से पिटाई भी की है। तालिबान अपने खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए आतंक का सहारा ले रहा है।
वैसे भी तालिबान ने भले ही सरकार बना ली हो लेकिन जबतक उसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल जाती तब तक उसकी सरकार अवैध ही मानी जाएगी। ईरान ने तो तालिबान और पाकिस्तान (Afghans Against Taliban) के गठजोड़ की न सिर्फ कड़ी निंदा की है बल्कि इसकी जांच कराने की भी मांग उठा दी है। रूस ने भी तालिबान सरकार को मान्यता देने के मामले में जल्दबाजी न करने की बात कही है। पाकिस्तान और चीन को छोड़कर अभी तक कोई भी देश तालिबान सरकार के पक्ष में नहीं आया है।