Afghanistan Crisis : अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से भयावह हालात बन गए है। अफगानिस्तान में रहने वाले अन्य देशों के लोग उस मुल्क को छोड़कर भागने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर टूट पड़े है। वहां ऐसी भगदड़ की स्थिति बन चुकी है कि हर किसी को अपनी जान बचाने की ही चिंता खाए जा रही है। दरअसल अफगानिस्तान में पिछले दो दशकों से अमेरिका की सेना तैनात थी जिसकी वजह से अफगानिस्तान की सत्ता पर बल पूर्वक काबिज होने का सपना तालिबान के लिए द्विवा सपना बना हुआ था।
लेकिन अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाईडन ने सत्ता की बागडोर संभालने के बाद अफगानिस्तान (Afghanistan Crisis) से अपनी सेना वापस बुलाने की घोषणा कर दी और धीरे-धीरे अपने सैनिकों को वापस भी बुला लिया। नतीजतन तालिबान ने अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए अफगानिस्तान में आतंक का ऐसा माहौल बनाया कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति सहित वहां के तमाम मंत्रियों और नेताओं को अपनी जान बचाने के लिए मुल्क छोड़कर भागना पड़ गया। अब पूरे अफगानिस्तान में तालिबान का एकक्षत्र राज स्थिापित हो गया है। दो दशक पूर्व ही अफगानिस्तान ने तालिबान ने सत्ता पर कब्जा किया था और हिंसा का ऐसा नंगा-नाच किया था कि अफगानिस्तान में लोगों का जीना मुहाल हो गया था।
खास तौर पर महिलाओं के लिए तो अफगानिस्तान (Afghanistan Crisis) नर्क बन गया था। अब फिर अफगानिस्तान में तालिबान की हुकुम कायम होना लगभग तय है। ऐसी स्थिति में वहां के लोगों में खौफ पैदा होना आम बात है। अमेरिका ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। साउदी अरब ने भी वहां से अपने नागरिकों की सकुशल वापसी करा ली है। भारत सरकार पर भी दबाव बन रहा है कि वह वहां रह रहे भारतीयों को तत्काल अपने देश ले आए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अरमिंदर सिंह ने अफगानिस्तान में रह रहे सिख परिवारों को तत्काल भारत लाने के लिए प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है।
अफगानिस्तान के भयावह हालात को देखते हुए भारत सरकार (Afghanistan Crisis) को चाहिए कि वहां से सभी भारतीयों को तत्काल स्वदेश ले आए। वैसे तो तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि अफगानिस्तान में रह रहे विदेशी लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। खास तौर पर भारतीयों का कोई नुकसान नहीं करेंगे लेकिन तालिबान के पिछले इतिहास को देखते हुए उसकी बात पर भरोसा करना मुगलता पालना ही कहा जाएगा। खौर तौर पर तब जबकि वहां कई देशों ने अपने दुतावास भी बंद करने की तैयारी शुरू कर दी है।
भारत के लिए दिक्कत यह है कि उसने अफगानिस्तान (Afghanistan Crisis) में लगभग 300 बिलियन डॉलर का निवेश कर रखा है जिससे वहां संसद भवन बनने के अलावा अस्पताल, सड़क और बिजली सहित ढेरो विकास कार्य कराए गए है। अब तक तो तालिबान ने भारत के सहयोग से हुए विकास कार्यों को निशाना नहीं बनाया है लेकिन आगे चलकर तालिबान क्या करेगा तय कर पाना मुहाल है। इसलिए भारत को तालिबान के हालात पर सतत रूप से नजर रखनी होगी और वहां के हालातों को मद्देनजर रखकर ही कोई लेना होगा। फिलहाल भारत के लिए यही उपयुक्त होगा कि वह वे-एंड-वॉच की स्थिति में रहे।