A problem has arisen in the Bihar Mahagathbandhan: तीन माह बाद होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन और एनडीए के नेताओं के बीच जुबानी जंग की भी तेज हो रही है। एक ओर जहां एनडीए एक बार फिर बिहार में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी ओर महागठबंधन अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहा है। एनडीए में शामिल दलों के बीच तो सीटों के बंटवारे को लेकर कोई खास मतभेद नहीं है लेकिन महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंस गया है।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने नई दिल्ली जाकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ मुलाकता की। इन नेताओं के बीच महागबंठन की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर तथा सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई लेकिन बात नहीं बनी। अब इस मुद्दे पर पटना में होने वाली महागठबंधन दल की बैठक में चर्चा की जाएगी।
इस बैठक में यदि कोई कारगर नतीजा निकलता तो तेजस्वी यादव और मल्लिकार्जुन खडग़े या राहुल गांधी संयुक्त प्रेस कांफ्रेन्स करके इसकी जानकारी देते। किन्तु बैठक के बाद सिर्फ तेजस्वी यादव मीडिया से रूबरू हुए और उन्होंने भी सिर्फ इतना कहा कि बैठक में सकारात्मक चर्चा हुई है। बाकी की बातें पटना में आयोजित बैठक में तय की जाएगी। इसका मतलब साफ है कि नई दिल्ली की बैठक बेनतीजा रही। गौरतलब है कि इस बार तेजस्वी यादव कांग्रेस को अपनी शर्तों पर सीटें देना चाहतें हैं। इसे मानने के लिए कांग्रेस तैयार नहीं है।
पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में कांग्रेस को 70 सीटें दी थी लेकिन कांग्रेस सिर्फ 17 सीटें ही जीत पाई थी। इसलिए तेजस्वी यादव अब कांग्रेस को 70 से भी कम सीटें देना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस फिर से 70 सीटों पर चुनाव लडऩे पर अड़ी हुई है। यही नहीं बल्कि कांग्रेस अपनी सीटें खुद ही तय करना चाहती है। उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने कांग्रेस को एसी 70 सीटें दी थी, जहां से पहले कभी राष्ट्रीय जनता दल चुनाव नहीं जीत पाया था। उन सीटों पर जदयू या भाजपा का पलड़ा भारी रहा है।
यही वजह है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस को 50 से अधिक सीटों पर शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा था। अब कांग्रेस अपनी पसंद की सीटों की मांग पर अड़ी हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत मिली थी और इनमें दो सीटें मुस्लिम बाहुल्य है। जहां से कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशी लोकसभा चुनाव जीतने में सफल हुए थे। इन दोनों मुस्लिम बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र की सभी 14 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस अपना दावा ठोंक रही है। यही पर बात नहीं बन पा रही है। इधर तेजस्वी यादव का कहना है कि महागठबंधन का कुनबा बढ़ता जा रहा है।
इस गठबंधन में शामिल सभी राजनीतिक पार्टियों को उचित प्रतिनिधित्व देना है इसलिए कांग्रेस की शर्तों पर विचार करना होगा। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी का एक गुट भी एनडीए से अलग हो गया है और उसके भी महागठबंधन में शामिल होने की संभावना है। यदि ऐसा हुआ तो उसे भी कुछ सीटें देनी होंगी। कुल मिलाकर सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में रस्सा कसी चल रही है। सीएम के चेहरे को लेकर भी राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस में मतभेद कायम है।
तेजस्वी यादव खुद को सीएम के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस ने अभी तक इस मामले में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इधर कांग्रेस ने बिहार में अकेले अपने दम पर चुनाव लडऩे की भी तैयारी कर ली थी। किसी उद्देश्य को सामने रखकर कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को मैदान में उतारा था। जिन्होंने बेरोजगारी और पलायन के मुद्दे को लेकर बिहार में यात्रा निकाली थी। जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए थे। निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को भी कांग्रेस बढ़ावा दे रही है। कन्हैया कुमार और पप्पू यादव से राष्ट्रीय जनता दल की कटुता किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में बिहार विधासभा चुनाव में यह महागठबंधन में एकजुट रह पाता है या कांग्रेस अपनी राह अलग कर लेती है। यह देखना दिलचस्प होगा।