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Nirbhaya Case के 9 साल… आज भी जिंदा है एक…?

9 years of Nirbhaya case... a criminal is still alive

Nirbhaya case

नई दिल्ली। Nirbhaya Case आज की तारीख यानी 16 दिसंबर 2012 की उस काली रात को भला कौन नहीं जानता होगा, जिसने पूरे देश को हिला दिया था। दिल्ली के वसंत विहार में निर्भया के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की घटना की गूंज सड़क से लेकर संसद से तक सुनाई दी थी। आज इस घटना को पूरे नौ साल हो चुके हैं।

लोगों के गुस्से और मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने छह आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इनमें से (Nirbhaya Case) चार दोषियों (मुकेश कुमार सिंह, अक्षय सिंह ठाकुर, विनय कुमार शर्मा और पवन कुमार गुप्ता) को कोर्ट के आदेश के अनुपालन में तिहाड़ जेल में 20 मार्च, 2020 को फांसी पर लटका दिया गया था। इस घटना के लोगों के मन में इतना अधिक विरोध था कि उन्होंने इंडिया गेट और राजपथ पर जमा होकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था।

अब आप सोच रहे होंगे बाकी के आरोपितों को क्या सजा मिली। इनमें से एक आरोपित नाबालिग था। जुवेनाइल कोर्ट ने उसे बाल सुधार गृह में भेज दिया था। जबकि अन्य एक जिसको फांसी पर नहीं लटकाया गया था उसका नाम राम सिंह था। राम सिंह की मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।

जांच में पता चला कि उसने फांसी लगाकर जान दे दी थी। छठां आरोपित जो नाबालिग निकला, वह आज भी जिंदा है। उसे सुधार गृह में रखा गया था। बाद में रिहा कर दिया गया। वह देश के किसी हिस्से में गुमनाम जिंदगी जी रहा है। बता दें कि कानून के मुताबिक नाबालिग के खिलाफ ट्रायल नहीं चलाया जा सकता। जुवेनाइल कोर्ट की निगरानी में आरोपित को बेहतर इंसान बनने की शिक्षा दी जाती है।

बताया जाता है कि जब उसे (Nirbhaya Case) बाल सुधार गृह से रिहा किया गया था तब उसे गांव में घुसने तक नहीं दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उसके मां-बाप ने भी उससे अपनाने से मना कर दिया। वह इस समय कहां है, किस हालात में है और क्या कर रहा है यह कोई नहीं जानता। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जाता रहा है कि वह दक्षिण भारत के किसी जगह पर कुक का काम करता है। इसमें कितनी सच्चाई है जागरण.काम इसकी पुष्टि नहीं करता।

बता दें कि सुधार गृह में उसकी सजा खत्म होने के बाद उस नाबालिग को नया नाम दिया गया था और उसकी पहचान बदल दी गई थी ताकि उसे कोई परेशानी न हो।

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