Toxic Syrup Scandal : ढाई रुपये कमीशन के लालच में बच्चों को मौत का सीरप लिखता था डॉक्टर, पत्नी और भतीजे की दुकानों में होती थी बिक्री

Toxic Syrup Scandal

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Toxic Syrup Scandal : मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के मामले में सामने आए कोल्ड्रिफ कफ सीरप कांड (Toxic Syrup Scandal) ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। जांच में अब एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है — परासिया सिविल अस्पताल में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को इस जहरीले सीरप की हर बोतल पर ढाई रुपये कमीशन मिलता था। यही लालच बच्चों की जान का कारण बन गया।

 24.54 रुपये की बोतल, 2.50 रुपये का लालच

पुलिस की जांच रिपोर्ट के अनुसार, श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स की “कोल्ड्रिफ कफ सीरप” की कीमत ₹24.54 प्रति बोतल थी। कंपनी ने डॉक्टर को हर बिक्री पर ₹2.50 का कमीशन देने का वादा किया था। यह सौदा इतने बच्चों की जान पर भारी पड़ा कि पहले 3 सितंबर को एक बच्चे की मौत हुई, और 26 सितंबर तक 12 बच्चों की जान चली गई, फिर भी डॉक्टर ने यह दवा लिखना बंद नहीं किया।

सीरप के सेवन के बाद बच्चों में मूत्र रुकने और किडनी फेल होने की शिकायतें लगातार बढ़ती गईं, लेकिन डॉक्टर ने इलाज का तरीका नहीं बदला।

 डॉक्टर, पत्नी और भतीजे का मिला-जुला नेटवर्क

जांच में सामने आया है कि डॉ. सोनी ने जो दवाएं लिखीं, वे उन्हीं के परिवार की दुकानों से बेची जा रही थीं। उनकी पत्नी की मेडिकल शॉप पर यह सीरप प्रमुखता से रखा जाता था, जबकि भतीजा राजेश सोनी, जो छिंदवाड़ा में एक बड़ा स्टॉकिस्ट है, इन दवाओं का थोक वितरण करता था।

अस्पताल आने वाले माता-पिता, डॉक्टर की सलाह पर “डॉ. सोनी की दुकान” से ही दवाएं लेते थे। इस तरह यह पूरा नेटवर्क डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन, पत्नी की दुकान और भतीजे के स्टॉक पॉइंट तक जुड़ा हुआ था।

 बच्चों की मौत के बाद भी जारी रहा खेल

पुलिस सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर को बच्चों के बीमार होने की जानकारी मिल चुकी थी, लेकिन कमीशन के लालच ने इंसानियत को कुचल दिया। मौतों की संख्या बढ़ती रही, पर उसने न तो कंपनी से सवाल किया, न ही दवा लिखना बंद किया। यह खुलासा डॉक्टर की डायरी और मोबाइल चैट से हुआ है, जिसमें दवा कंपनी के प्रतिनिधि से “टारगेट पूरी करने” की बातचीत दर्ज है।

 एसआइटी की चेन्नई में छापेमारी

मामले की जांच कर रही एसआइटी (Special Investigation Team) ने मंगलवार को चेन्नई में श्रीसन फार्मा के संचालक जी. रंगनाथन के घर और फैक्ट्री पर छापे मारे।

टीम ने बड़ी मात्रा में दस्तावेज़, फॉर्मुलेशन रिकॉर्ड और अकाउंट बुक्स जब्त की हैं। पूछताछ में रंगनाथन ने दो से तीन और व्यक्तियों के नाम बताए हैं, जिनकी भूमिका अमानक दवा निर्माण में रही है।

एसपी अजय पांडे ने बताया कि “चेन्नई की टीम बुधवार को भी जांच जारी रखेगी। अब तक जो सबूत मिले हैं, वे बेहद गंभीर हैं। रंगनाथन 10 दिन की पुलिस रिमांड पर है।”

 गिरफ्तारी और आगे की जांच

फिलहाल, पुलिस ने डॉक्टर सोनी को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ हत्या, धोखाधड़ी और अमानक दवा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

एसडीओपी जितेंद्र जाट ने बताया कि “अन्य सहयोगियों की भूमिका की जांच चल रही है। यदि साक्ष्य मिले, तो उनकी भी गिरफ्तारी की जाएगी।”

 बच्चों की मौतों ने उठाए बड़े सवाल

यह मामला सिर्फ एक डॉक्टर की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे चिकित्सा तंत्र की जवाबदेही पर सवाल उठाता है। जांच अधिकारियों का कहना है कि एक प्रशिक्षित बाल रोग विशेषज्ञ कैसे सिर्फ ढाई रुपये प्रति बोतल के कमीशन पर बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर सकता है? इस मामले ने मेडिकल इंडस्ट्री में चल रहे कमीशन-कल्चर को भी उजागर कर दिया है, जहाँ दवा के ब्रांड से ज्यादा अहमियत उसके मुनाफे की होती है।

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