Social Media Regulation : सरकार ने आईटी नियमों में किया बड़ा बदलाव, इंटरनेट से कॉन्टेंट हटाने से पहले जरूरी होगी वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति

Social Media Regulation
Social Media Regulation : केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में बड़ा संशोधन करते हुए इंटरनेट और सोशल मीडिया पर कंटेंट हटाने की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बना दिया है।
अब किसी भी पोस्ट, वीडियो, ट्वीट या लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने से पहले वरिष्ठ अधिकारी की मंजूरी अनिवार्य होगी। सरकार का कहना है कि इस निर्णय का उद्देश्य यूजर्स के अधिकारों की सुरक्षा और प्रशासनिक कार्रवाई में संतुलन सुनिश्चित करना है।
नए प्रावधानों के तहत सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईटी नियम 3(1)(d) में संशोधन किया है। अब कंटेंट की समीक्षा और हटाने का अधिकार केवल सचिव, संयुक्त सचिव या पुलिस में डीआईजी स्तर से ऊपर के अधिकारी (Social Media Regulation) को ही होगा। इससे निचले स्तर के किसी अधिकारी को अब सोशल मीडिया पोस्ट हटाने का निर्णय लेने का अधिकार नहीं रहेगा।
हर माह सचिव स्तर का अधिकारी उन सभी मामलों की समीक्षा करेगा, जिनमें सोशल मीडिया से कोई कंटेंट हटाया गया हो या हटाने का आदेश जारी हुआ हो। यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई है ताकि किसी भी सामग्री को मनमाने ढंग से या बिना कारण बताए हटाया न जा सके और फैसले की जवाबदेही तय रहे।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार ने यह बदलाव ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर पारदर्शिता बढ़ाने और मनमानी सेंसरशिप पर रोक लगाने के लिए किया है। उन्होंने कहा कि अब किसी भी कंटेंट को हटाने या ब्लॉक करने से पहले उसकी स्पष्ट वजह और तकनीकी विवरण देना अनिवार्य होगा।
आदेश जारी करने वाले अधिकारी को यह प्रमाणित करना होगा कि निर्णय उचित, न्यायसंगत और कानूनी रूप से वैध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह संशोधन न केवल सरकार (Social Media Regulation) की जवाबदेही बढ़ाता है बल्कि यूजर्स के प्रति जिम्मेदारी भी तय करता है।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह भी निर्देश दिया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी भी पोस्ट या लिंक को ब्लॉक करने के लिए संबंधित कंटेंट का पूरा URL, लोकेशन और कारण दर्ज किया जाएगा। अधिकारी बिना पर्याप्त कारण बताए किसी भी यूआरएल को ब्लॉक नहीं कर सकते।
मंत्रालय ने इसे यूजर्स के अधिकार और सरकारी कार्रवाई के बीच “संतुलित नियंत्रण व्यवस्था” करार दिया है। अधिकारियों के अनुसार, हाल के वर्षों में सोशल मीडिया कंटेंट हटाने को लेकर कई विवाद हुए थे, जिनमें पारदर्शिता और प्रक्रिया की कमी को लेकर आलोचना हुई थी। अब नए नियम इन विवादों को खत्म करने की दिशा में एक अहम कदम साबित होंगे।
सरकार का कहना है कि यह संशोधन डिजिटल स्पेस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के शासन दोनों के बीच संतुलन स्थापित करेगा। मंत्रालय ने यह भी संकेत दिया है कि यदि भविष्य में आवश्यकता पड़ी, तो आईटी अधिनियम 2000 में और बदलाव किए जा सकते हैं, ताकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किसी भी तरह की कार्रवाई पारदर्शी और जवाबदेह ढंग से की जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियम डिजिटल युग में प्रशासनिक जवाबदेही को मजबूत करने वाला है। इससे न केवल यूजर्स के अधिकारों की रक्षा होगी, बल्कि सोशल मीडिया (Social Media Regulation) कंपनियों पर भी यह जिम्मेदारी तय होगी कि वे किसी भी सरकारी आदेश का पालन करने से पहले उसकी वैधता और प्रामाणिकता की जांच करें।
सरकार के इस कदम को डिजिटल नीति में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है। यह पहली बार है जब कंटेंट हटाने की प्रक्रिया में उच्च स्तर के अधिकारियों को सीधे जिम्मेदार बनाया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी ऑनलाइन पोस्ट, लेख या वीडियो बिना पर्याप्त कारण और प्रमाण के नहीं हटाया जा सकेगा, जिससे सोशल मीडिया की पारदर्शिता और यूजर्स का विश्वास दोनों कायम रहेंगे।