Semra Village Early Diwali Tradition : देशभर में जहां दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, वहीं धमतरी जिले के ग्राम सेमरा (सी) (Semra Village Early Diwali Tradition) में आज यानी 14 अक्टूबर को ही दिवाली का उत्सव मनाया जा रहा है। यहां के ग्रामीण लक्ष्मी पूजा के लिए पूरे गांव को दीपों से रोशन करेंगे। इस विशेष परंपरा का संबंध गांव के आराध्य सिदारदेव से है।
गांव की अनोखी दिवाली परंपरा
सेमरा गांव की यह परंपरा पहली बार नहीं, बल्कि वर्षों से निभाई जा रही है। हालांकि, यह परंपरा कब शुरू हुई, इसका सही उल्लेख किसी को ज्ञात नहीं है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि एक बार कुछ लोगों ने पंचांग देखकर तय तिथि पर त्योहार मनाने की कोशिश की थी, लेकिन उसी दिन एक घर में आग लग गई। काफी प्रयासों के बाद भी आग नहीं बुझी। जब सिदारदेव की पूजा की गई (Semra Village Early Diwali Tradition), तभी आग शांत हुई। तब से किसी ने भी परंपरा बदलने का साहस नहीं किया।
अब 14 अक्टूबर को गांव के लोग लक्ष्मी पूजा शाम करेंगे और पूरे गांव को दीपों से जगमगाएंगे। इस दौरान सिदारदेव की पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है। सेमरा गांव का सिरदार देव मंदिर आस्था का केंद्र है। यहां नया काम शुरू करने से पहले लोग देवता का आशीर्वाद लेते हैं। मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है। दिवाली के दिन आसपास के गांवों के लोग भी यहां का नजारा देखने पहुंचते हैं।
सिदारदेव से जुड़ी आस्था की कहानी
गांव के निवासी मदनलाल सिन्हा ने बताया कि कई वर्ष पहले सिदार नाम के एक वृद्ध गांव में आकर बस गए थे। उनकी दिव्य शक्तियों से गांव में समस्याएं दूर होने लगीं। धीरे-धीरे लोगों की श्रद्धा बढ़ती गई और उनके सम्मान में सिरदार देव मंदिर की स्थापना की गई (Semra Village Early Diwali Tradition)।
कहा जाता है कि उनके निधन के बाद उन्होंने एक किसान के सपने में आकर कहा था कि दीपावली, होली, हरेली और पोला – ये चार त्योहार पंचांग की निर्धारित तिथि से पहले मनाए जाएं ताकि गांव में उनका आशीर्वाद बना रहे। तभी से यह अनोखी परंपरा चली आ रही है।