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संपादकीय: एनडीए में सीटों का बटवारा

Seat sharing in NDA

Editorial: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में शामिल घटक दलों के बीच सीटों का बटवारा हो गया। इस बार बिहार में भाजपा और जदयू में से कोई भी बड़े भाई की भूमिका में नहीं होगा। बल्कि दोनों बराबरी के साथ मैदान में उतरेंगे। बिहार की 243 सीटों में से भाजपा और जदयू दोनों ही 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेगे। वहीं लोजपा को 29 सीटों दी गई है जबकि जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुसवाहा की पार्टी को छह छह सीटें मिली है। गौरतलब है कि लोजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान और ज्यादा सीटें चाह रहे थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दखल के बाद वे 29 सीटों पर संतुष्ट हो गये।

इसी तरह जीतन राम मांझी भी दस से बारह सीटें चाह रहे थे लेकिन उन्हं भी छह सीटों पर संतोष करना पड़ा। एनडीए में सीटों का सुगमता पूर्वक बटवारा हो गया और इसमें शामिल नेताओं चिराग पासवान जीतन राम मांझी तथा उपेन्द्र कुसवाहा ने सीटों के बंटवारे पर संतुष्टी जाहिर की है। इधर आईएनडीआईए में अभी भी सीटों के बटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है और महांगठबंधन में शामिल लगभग आधा दर्जन पार्टियों के बीच रस्सा कसी चल रही है। महागठबंधन में सीटों के बटवारे का फॉर्मूला अभी तक तय नहीं हुआ है लेकिन उसके नेता एनडीए में हुए सीटों के बंटवारे को लेकर टिका टिप्पण कर रहे हैं।

पप्पू यादव ने बयान दिया है कि एनडीए में हुए सीटों के बटवारे से यह साफ संकेत मिल गये हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार को किनारे कर दिया जाएगा। और यदि एनडीए को बिहार में बहुमत मिल गया तो भाजपा चिराग पासवान की पार्टी लोजपा के साथ मिलकर अपना मुख्यमंत्री बना लेगी। महागठबंधन में शामिल अन्य दलों के नेता भी एनडीए में हुए सीटों के बंटवारे को लेकर इसी तरह की अनरगल बयानबाजी कर रहे हैं जिनका उद्देश्य यह है कि एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर असंतोष उपजे और इसका महागठबंधन को चुनाव में लाभ मिले।

किन्तु एनडीए में जिस तरह बगैर किसी विवाद के सरलतापूर्वक सीटों का बंटवारा हो गया है और इस पर किसी भी पार्टी ने कोई असंतोष जाहिर नहीं किया है उसका आश्य स्पष्ट है कि एनडीए पूरी तरह एकजूट है और वह इसी एकजुटता के साथ बिहार विधानसभा चुनाव के दंगल में ताल ठोंकने जा रही है। अब देखना होगा कि महागठबंधन में किस तरह सीटों का बंटवारा होता है और किसके हिस्से में कितनी सीटें जाती है। वैसे अब महागठबंधन में भी सीटों के बटवारे को लेकर कोई भी दल दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है क्योंकि एनडीए में सीटों का बंटवारा हो चुका है ।

इसलिए अब किसी भी असंतुष्ट पार्टी का एनडीए में शामिल होना असंभव है किन्तु महागठबंधन में शामिल दलों में अभी भी कई विकल्प खुले हुए हैं क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी भी तीसरा मोर्चा बना रहे हैं। ऐसे में महागठबंधन में शामिल छोटे दलों के नेता यदि अंतुष्ठ होते हैं तो वे ओवैसी के तीसरे मोर्चे में जा सकते हैं। प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज के रूप में भी उनके सामने एक और विकल्प खुला हुआ है।

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