संपादकीय: बिहार में राजद की मुश्किलें बढ़ीं
RJD's troubles increase in Bihar
Editorial: बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व करने वाले राष्ट्रीय जनता दल की मुश्किले बढ़ गई हैं। उसका एमवाई समीकरण गड़बड़ाने का खतरा पैदा हो गया है। गौरतलब है कि मुस्लिम और यादव वोट बैंक के चलते ही राष्ट्रीय जनता दल बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बना रहा है और लालू प्रसाद यादव तथा उनकी धर्मपत्नि राबड़ी देवी एमवाई समीकरण के चलते ही मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए थे। किन्तु इस बार राष्ट्रीय जनता दल से मुस्लिम वोटों के छिटकने की संभावना बलवति हो गई है। यदि राजद के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लग गई तो उसके लिए बिहार की सत्ता पर काबिज होना असंभव हो जाएगा।
दरअसल जब महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया गया और वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री का चेहरा बनाया गया तभी से असदुद्दीन ओवैसी और प्रशांत किशोर ने राजद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उन्होंने किसी मुस्लिम को उपमुख्यमंत्री का चेहरा घोषित न करने के लिए राष्ट्रीय जनता दल पर यह कहकर निशाना साधना शुरू कर दिया है कि राष्ट्रीय जनता दल में मुस्लिम नेताओं को सिर्फ दरी बिछाने के लिए ही जगह दी गई है लेकिन इस बार अपनी उपेक्षा से नाराज मुस्लिम वोटर राजद की दरी उठा देंगे। उनका कहना है कि सिर्फ 2 प्रतिशत वोट बैंक वाले मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया है जबकि बिहार में मुस्लिमों की आबादी 18 प्रतिशत है और वे बिहार की लगभग पचास सीटों पर निर्णनायक भूमिका निभाते हैं।
अब असद्दुदीन ओवैसी और प्रशांत किशोर इसी मुद्दे को जोर शोर से उठा रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने तो पिछले विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीती थी यह बात अलग है कि बाद में उनकी पार्टी के विधायकों को राष्ट्रीय जनता दल ने प्रलोभन देकर राजद में शामिल कर लिया था। ओवैसी इस बात को नहीं भूले हैं और इस बार तो वे बिहार में पूरी ताकत से चुनाव मैदान में उतरे हैं और उन्हें मुस्लिम मतदातओं का भरपूर समर्थन मिल भी रहा है।
वहीं प्रशांत किशोर ने भी लगभग 70 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारें हैं और वे यह साबित करना चाह रहे हैं कि उनकी जनसुराज पार्टी ही सही मायनों में मुस्लिमों की हित चिंतक है। जाहिर है राष्ट्रीय जनता दल को अब अपने परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक के दरकने की चिंता सता रही है और डेमेज कंट्रोल के लिए तेजस्वी यादव ने यह घोषणा की है कि यदि बिहार में उनके नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी तो वे बिहार में वक्फ कानून को लागू नहीं होने देंगे और इस कानून को कूडेदान में फेंक देंगे। उनकी इस घोषणा से मुस्लिम मतदाता कितने प्रभावित होते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
