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Jharkhand Politics : हेमंत सरकार का मास्टर स्ट्रोक….ओबीसी आरक्षण लागू कर विपक्ष से छीना बड़ा मुद्दा,

Jharkhand Politics

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झामुमो–कांग्रेस–राजद गठबंधन सरकार ने झारखंड की राजनीति में बड़ा दांव खेला है। राज्य मंत्रिपरिषद ने नगर निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण (14% OBC Reservation) को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस फैसले से भाजपा और आजसू जैसे विपक्षी दलों का मुख्य राजनीतिक हथियार छिन गया है, जो लंबे समय से ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे थे। अब यह कदम राज्य की चुनावी राजनीति और जातीय समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है।

विपक्ष से पहले सरकार ने दिखाई सक्रियता

ओबीसी आरक्षण लागू करने की सबसे बड़ी बाधा सुप्रीम कोर्ट के “ट्रिपल टेस्ट मानदंड (Triple Test Criteria)” थे। इन मानकों में जनसंख्या सर्वेक्षण, पिछड़ेपन का वैज्ञानिक आकलन और निकायों में प्रभावी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना शामिल है। हेमंत सरकार ने सभी चरणों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया।

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने विस्तृत सर्वे (OBC Survey Report) किया, जिसमें ओबीसी समुदाय की जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व का आंकलन किया गया। इस रिपोर्ट के आधार पर 14% आरक्षण का प्रस्ताव तैयार हुआ, जिसे कुल आबादी के अनुपात में न्यायसंगत माना गया।

कानूनी अड़चनों से निपटने में भी दिखाया दम

सरकार ने इस दौरान विपक्ष के “देरी” के आरोपों को झुठला दिया। संबंधित विभागों ने दस्तावेज तैयार किए, हाई कोर्ट में दाखिल याचिकाओं का जवाब दिया और सभी कानूनी अड़चनें दूर कीं। फैसले के बाद अब राज्य में निकाय चुनावों के वार्ड स्तर पर ओबीसी प्रतिनिधित्व बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है।

भाजपा–आजसू की रणनीति पर लगा ब्रेक

भाजपा और आजसू पार्टी ने ओबीसी आरक्षण को लेकर लगातार सरकार पर हमला बोला था। वे इसे “पिछड़ों के साथ अन्याय” का मुद्दा बनाकर जनता के बीच गए थे। लेकिन अब सरकार द्वारा 14% आरक्षण लागू किए जाने से विपक्ष को नया मुद्दा तलाशने की मजबूरी बन गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला हेमंत सरकार के लिए निकाय चुनावों में गेम चेंजर (Game Changer for JMM Alliance) साबित हो सकता है।

वार्ड स्तर पर आरक्षण से ओबीसी समुदाय को सीधे लाभ मिलेगा, जिससे इन वर्गों की सत्ता में भागीदारी बढ़ेगी। यह न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में गठबंधन का वोट बैंक मजबूत करेगा, बल्कि शहरी निकायों में भी JMM–Congress की पकड़ को मजबूती देगा।

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