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Environmental Clearance Case : पर्यावरण मंजूरी से पहले नहीं मानी जाएगी लीज लैप्स की अवधि, हाई कोर्ट ने जेएसडब्ल्यू स्टील को दी बड़ी राहत

Environmental Clearance Case

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Environmental Clearance Case : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खनन उद्योग से जुड़े एक अहम मामले में जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड (पूर्व में मानेट इस्पात एंड एनर्जी लिमिटेड) को बड़ी राहत दी है। न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने कहा कि जब तक किसी खनन लीजधारक को पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance Case) नहीं मिलती, तब तक माइंस एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 1957 की धारा 4ए(4) के तहत लीज लैप्स माने जाने की दो साल की अवधि शुरू नहीं होगी।

अदालत ने बताया अधिकार क्षेत्र से बाहर

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा 20 सितंबर 2022 को जारी उस नोटिस को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि कंपनी ने लीज डीड के दो साल के भीतर खनन कार्य शुरू नहीं किया, इसलिए लीज स्वतः समाप्त हो गई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance Case) नहीं मिलती, तब तक लीजधारक को खनन कार्य प्रारंभ न करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

2009 में मिला एलओआइ, 2017 में लीज डीड

रिकॉर्ड के अनुसार, जेएसडब्ल्यू स्टील को 3 नवंबर 2009 को चूना पत्थर खनन के लिए लेटर ऑफ इंटेंट जारी किया गया था। इसके बाद 9 जनवरी 2017 को लीज डीड तैयार हुई। इसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा था कि बिना पर्यावरण मंजूरी के खनन कार्य नहीं किया जा सकता।

सरकार ने कहा-दो साल में खनन नहीं, कंपनी ने दी चुनौती

राज्य सरकार ने सितंबर 2022 में नोटिस जारी कर कहा कि लीज लागू होने के दो साल के भीतर यानी 8 जनवरी 2019 तक खनन कार्य शुरू नहीं किया गया। इसलिए एमएमडीआर एक्ट की धारा 4ए(4) और मिनरल कंसेशन रूल्स, 2016 के रूल 20(3) के तहत लीज स्वतः समाप्त मानी जाएगी। कंपनी ने इस नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

कोर्ट ने कहा-कानूनी बाधा के दौरान लीज लैप्स नहीं मानी जा सकती

हाई कोर्ट ने कहा कि जब पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance Case) जैसी कानूनी बाधा मौजूद है, तो कंपनी को खनन शुरू न करने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने यह भी कहा कि एमएमडीआर एक्ट की धारा 4(1) में स्पष्ट प्रावधान है कि खनन केवल लीज की शर्तों और प्रचलित कानून के अनुसार ही किया जा सकता है।

इस आधार पर कोर्ट ने माना कि लीज लैप्स होने की दो साल की अवधि पर्यावरण मंजूरी मिलने की तारीख से ही गिनी जाएगी। चूंकि जेएसडब्ल्यू स्टील को मंजूरी नहीं मिली थी, इसलिए कंपनी खनन कार्य शुरू करने की कानूनी स्थिति में नहीं थी। अदालत ने राज्य सरकार का नोटिस अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए रद्द कर दिया।

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