Editorial: पिछले साल की तरह ही इस बार भी अयोध्या में लाखों दीये जलाकर दिव्य दीपावली मनाई गई इसके पूर्व दीपावली पर दीए जलाने की प्राचीन परंपरा को हटाकर उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दीए और मोमबत्ती जलाये जाने को लेकर विवादास्पद टिप्पणी कर दी है। अखिलेश यादव का कहना है कि दीए और मोमबत्ती पर फिजूल खर्ची नहीं करनी चाहिए और हमें क्रिसमस से सीख लेनी चाहिए कि बिजली की झालरों से किस तरह हम पूरे शहर को महीने भर तक जगमग रख सकते हैं।
अखिलेश यादव के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर ट्रोल किया जा रहा है। वहीं भाजपा नेताओं ने भी उनके बयान को लेकर उनपर जमकर निशाना साधा है और कहा है कि तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले अखिलेश यादव ने अपने इस बयान से यह साबित कर दिया है कि सनातन परंपरा के घोर विरोधी है। उत्तरप्रदेश के लोग विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी को जरूर सबक सिखाएंगे।
भाजपा नेताओं ने उनके इसबयान को गरीब कुम्हारों और मुसलमानों के भी पेट में लात मारने वाला बतया है। जो दीए और मामेबत्ती बनाकर अपने परिवार का पेट पालते हैं। हालांकि बाद में ंसमाजवादी पार्टी के नेताओं ने अखिलेश यादव के बयान को लेकर स्पष्टीकरण दिया है और का है कि उनका यह बयान सनातन विरोधी नहीं है और न ही वे दिए और मोमबत्ती बनाने वालों के हितों पर कुठाराघात करने वाला है। किन्तु अब तो तीर कमान से निकल चुका है और इसका खामियजा भुगतना पड़ सकता है।