Supreme Court NMC : सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार, प्रशिक्षु डॉक्टरों को मानदेय न देने पर जताई सख्त नाराजगी, दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का आदेश
Supreme Court Railway Compensation Case
देशभर के प्रशिक्षु डॉक्टरों को मानदेय का भुगतान सुनिश्चित न करने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court NMC) ने मंगलवार को नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि युवा डॉक्टर दिन में 18 घंटे से अधिक कार्य करते हैं, फिर भी उन्हें न्यूनतम वेतन से वंचित रखा जाना बेहद अनुचित है। शीर्ष अदालत ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए एनएमसी को दो सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट (हलफनामा) दाखिल करने का आदेश दिया है।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने कहा कि प्रशिक्षु डॉक्टरों के मानदेय भुगतान का मुद्दा काफी समय से लंबित है, लेकिन एनएमसी लगातार उदासीन रवैया अपना रहा है। पीठ ने स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कहा — “एनएमसी का यह रवैया निंदनीय है। प्रशिक्षु डॉक्टर देशभर में मरीजों की सेवा में दिन-रात जुटे रहते हैं। उन्हें उचित भुगतान न मिलना न केवल अन्याय है, बल्कि चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है।”
पीठ ने यह भी कहा कि अदालत ने पहले भी कई बार स्पष्ट निर्देश दिए थे कि देश के सभी मेडिकल कॉलेज प्रशिक्षु डॉक्टरों को मानदेय का नियमित भुगतान सुनिश्चित करें। इसके बावजूद आयोग ने न तो निगरानी की और न ही कार्रवाई। कोर्ट ने कहा कि अब दो सप्ताह के भीतर अनुपालन हलफनामा दाखिल किया जाए, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सुनवाई (Supreme Court NMC) के दौरान एनएमसी के वकील ने अदालत को बताया कि 11 जुलाई 2025 को सभी मेडिकल कॉलेजों को एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें प्रशिक्षु डॉक्टरों को मानदेय देने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि कोर्ट ने इस दावे को स्वीकार नहीं किया और कहा कि “सिर्फ नोटिस जारी करना पर्याप्त नहीं है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कॉलेजों ने वास्तव में इसका पालन किया है।” अदालत ने यह भी कहा कि यह गंभीर मामला है क्योंकि यह सीधे डॉक्टरों के सम्मान और अधिकारों से जुड़ा हुआ है।
वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता तन्वी दुबे ने बताया कि प्रशिक्षु डॉक्टरों को कई बार भरोसा दिलाया गया, लेकिन अब तक उन्हें भुगतान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कई डॉक्टरों ने अपनी इंटर्नशिप पूरी कर ली है, लेकिन उनका मानदेय अब तक बकाया है। दुबे ने अदालत से अनुरोध किया कि वह इस मामले में ठोस दिशा-निर्देश जारी करे ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने।
अदालत (Supreme Court NMC) ने कहा कि प्रशिक्षु डॉक्टर चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ हैं। वे अस्पतालों में लगातार ड्यूटी निभाते हैं, कभी-कभी बिना नींद लिए 18-20 घंटे तक काम करते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि उन्हें उनके परिश्रम का उचित प्रतिफल मिले। कोर्ट ने कहा कि यह मामला सिर्फ भुगतान का नहीं, बल्कि चिकित्सा पेशे की गरिमा से जुड़ा हुआ है।
पीठ ने एनएमसी को दो सप्ताह के भीतर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने और यह बताने का निर्देश दिया है कि देशभर में कितने मेडिकल कॉलेज प्रशिक्षु डॉक्टरों को मानदेय दे रहे हैं और किन संस्थानों ने अब तक इसका पालन नहीं किया है। अदालत ने यह भी कहा कि यदि अगली सुनवाई तक कोई ठोस प्रगति नहीं होती है, तो आयोग के शीर्ष अधिकारियों को तलब किया जाएगा।
