संपादकीय: प्रशांत किशोर की बौखलाहट
Prashant Kishor's frustration
Editorial: चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जो जनसुराज पार्टी बनाकर इस बार खुद चुनावी अखाड़े में उतर चुके हैं वे इन दिनों बुरी तरह बौखलाए हुए हैं उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व लगातार 2 साल तक जमकर मेहतन की बिहार में पदयात्रा का नया कीर्तिमान रचा और फिर जनसुराज पार्टी बनाकर चुनाव लडऩे का निर्णय लिया था। किन्तु अब उन्हें यह बात समझ में आ गई है कि चुनावी रणनीतिकार बनकर किसी पार्टी को चुनाव लड़ाना आसान है खुद अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लडऩा बेहद मुश्किल है। यही वजह है कि उन्होंने पहले तो खुद ही विधानसभा चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया जबकि पूर्व में उन्होंने यह घोषणा की थी कि वे राघोपुर विधानसभा सीट से तेजस्वी यादव के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने राघोपुर में सैकड़ों वाहनों के साथ बड़ी रैली भी निकाली थी किन्तु येन नामंाकन पत्र दाखिल करने के पूर्व उन्होंने खुद चुनाव लडऩे से यह कहकर इंकार कर दिया कि उनके चुनाव लडऩे से जनसुराज पार्टी के अन्य प्रत्याशियों का चुनाव प्रसार प्रभावित होगा। यदि ऐसा था तो उन्होंने पहले क्यों चुनाव लडऩे का एलान किया था। जाहिर है बिहार में अपनी और अपनी पार्टी की संभावित हार का एहसास होने के बाद उन्होंने खुद चुनाव न लडऩा बेहतर समझा। ताकि लाखों की बंद मु_ी खुलकर खाक की न हो जाये वे खुद चुनावी रणनीतिकार रहे हैं ऐसे में उनसे ज्यादा बेहतर ढंग से चुनावी हवा का रूख भला और कौन पहचान सकता है। शुरू में तो उन्होंने यह भी दावा किया था कि जनसुराज पार्टी की सरकार बनने जा रही है क्योंकि बिहार की जनता परिवर्तन चाहती है। लेकिन अब उन्होंने ऐसा दावा करना भी बंद कर दिया है।
यही वजह है कि अब वे अपनी खीझ निकाल रहे हैं। उनकी बौखलाहट का आलम यह है कि वे मीडिया कर्मियों से ही भिडऩे लगे हैं। एक खबरिया चैनल को इंटरव्यू देने के दौरान प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव की पढ़ाई को लेकर टीका टिप्पणी की और यह कहा कि बिहार की जनता पढ़ा लिखा मुख्यमंत्री चाहता है तो टीवी एंकर ने प्रशांत किशोर से उनकी डिग्री पूछ ली तो इससे नाराज होकर प्रशांत किशोर ने इंटरव्यू अधूरा छोड़ दिया। एक अन्य पत्रकार द्वारा उनकी शैक्षणिक योग्यता पूछे जाने पर उन्होंने गुस्से में आकर खुद को अनपढ़ बता दिया था। प्रशांत किशोर की यह मनोदशा बताती है कि उन्हें अपनी नवगठित जनसुराज पार्टी की करारी हार का पूर्वानुमान लग गया है।
इसी बौखलाहट में अब वे अनर्गल आरोप लगाने में लगे हैं ताकि वे चर्चा में बने रहे। उन्होंने केन्द्रीय गृहमंत्री पर आरोप लगा दिया है कि वे जनसुराज पार्टी के प्रत्याशियों को डरा धमका कर उन्हें चुनाव लडऩे से रोक रहे है। उन्होंने कहा है कि जनसुराज पार्टी के तीन प्रत्याशियों के साथ अमित शाह और बिहार के भाजपा चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान ने बैठक की और उन्हें चुनाव मैदान छोडऩे पर विवश कर दिया। प्रशांत किशोर जैसे सुलझे हुए व्यक्ति से इतने छिछले बयान की किसी को उम्मीद नहीं थी। यह बात देश का बच्चा जान रहा है कि बिहार में सीधा चुनावी मुकाबला एनडीए और आईएनडीआईए के बीच होने जा रहा है। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी तो इस दौड़ में कहीं नजर ही नहीं आ रही है।
ऐसे में अमित शाह जनसुराज पार्टी के तीन प्रत्याशियों को भला चुनाव मैदान से बाहर करने के लिए दबाव बनाएंगे। यदि उन्हें ऐसा कोई दबाव बनाना ही होगा तो वे राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के प्रत्याशियों पर बनाएंगे जो एनडीए को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। जाहिर है प्रशांत किशोर ने मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए ही केन्द्रीय गृह मंत्री पर अनर्गल आरोप लगाया है ऐसा करके उन्होंने खुद अपनी ही पार्टी की ही फजीहत करा डाली है। उनके इस बयान का यह भी मतलब निकाला जा रहा है कि जनसुराज पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
लेकिन उसमें सिर्फ तीन ही ऐसे प्रत्याशी थे जो चुनाव जीत सकते थे इसलिए उन्हें भाजपा ने दबाव डालकर मैदान से बाहर किया है। विपक्ष के नेता अब प्रशांत किशोर से सवाल कर रहे हैं। उन्होंने खुद किसके दबाव मेें आकर राघोपुर से चुनाव न लडऩे का फैसला किया था। कुल मिलाकर प्रशांत किशोर अपनी पार्टी की पराजय को भांप चुके हैं और बौखलाहट में कुछ भी बयान दे रहे हैं।
