योग, आध्यात्मिक साधना और प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्वस्थ एवं सकारात्मक जीवनशैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जीवन आधार पब्लिक चैरिटी ट्रस्ट द्वारा 18-12-2025 को महावीर वृद्ध आश्रम, राजनांदगांव में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम (Yoga Awareness Program) आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम में वृद्ध महिला एवं पुरुषों को योग, आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व से अवगत कराया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य वृद्धावस्था में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन को बनाए रखने के प्रति जागरूकता फैलाना रहा।
कार्यक्रम में ट्रस्ट के मुख्य मार्गदर्शक ओम प्रकाश सहारे ने उपस्थित वृद्धजनों को संबोधित (Yoga Awareness Program) करते हुए कहा कि वृद्धावस्था में शरीर स्वाभाविक रूप से कमजोर होने लगता है, मांसपेशियों में शिथिलता आ जाती है और व्यक्ति अधिक समय बिस्तर पर आराम करने लगता है। लेकिन केवल आराम करने से शरीर और अधिक कमजोर होता चला जाता है।
ऐसे में वृद्धावस्था में भी नियमित रूप से योग करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि योग शरीर में स्फूर्ति, संतुलन और ऊर्जा बनाए रखने में सहायक होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि योग को किसी कठिन साधना के रूप में नहीं, बल्कि जीवन का सहज हिस्सा बनाकर अपनाया जाना चाहिए।
ओम प्रकाश सहारे ने वृद्धजनों की शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए सरल योगासन, प्राणायाम और श्वास-प्रश्वास की तकनीकों का अभ्यास करवाया। उन्होंने बताया कि नियमित योगाभ्यास से रक्तसंचार बेहतर होता है, जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है और मानसिक तनाव भी कम होता है।
इसी क्रम में उन्होंने योग जागरूकता कार्यक्रम (Yoga Awareness Program) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज के हर वर्ग, विशेषकर वृद्धजनों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होते हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने बताया कि सुबह प्रातःकाल उठकर सूर्य देवता को अष्टांग प्रणाम करना चाहिए तथा हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए।
इसके साथ ही सूर्य किरणों में शुद्ध जल का सेवन करने से शरीर को प्राकृतिक ऊर्जा और आवश्यक विटामिन प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि सूर्य की किरणें हमारे शरीर और मन दोनों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
आध्यात्मिक जीवन के संदर्भ में मार्गदर्शन देते हुए उन्होंने कहा कि प्रातःकाल शुद्ध जल से स्नान करने से मन और तन दोनों पवित्र रहते हैं। इससे मन में अच्छे विचार उत्पन्न होते हैं और ईश्वर भक्ति के प्रति आस्था मजबूत होती है। जो व्यक्ति भक्ति, योग और ध्यान में रम जाता है,
उसका जीवन अधिक संतुलित, शांत और सार्थक बन जाता है। उन्होंने वृद्धजनों से आग्रह किया कि वे प्रतिदिन योग, ध्यान और ईश्वर स्मरण को अपनी दिनचर्या में शामिल करें तथा दया, शांति और परोपकार की भावनाओं को विकसित करें।
कार्यक्रम के अंत में वृद्ध आश्रम के वृद्ध महिला एवं पुरुषों ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि वे योग, ध्यान और आध्यात्मिक साधना को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि वे ईश्वर की भक्ति में अपना जीवन अर्पित करेंगे और नियमित रूप से सूर्य देवता की उपासना कर स्वस्थ, शांत और सकारात्मक जीवन व्यतीत करने का प्रयास करेंगे। इस प्रकार यह कार्यक्रम वृद्धजनों के लिए नई ऊर्जा, विश्वास और आत्मिक शांति का संदेश लेकर सामने आया।

