Yellow Fever: पित्त ज्वर-धान्यकादि अरिष्ट 15 मिली मात्रा को भोजन के बाद रोगी को समान मात्रा में जल मिलाकर पिलाने से पित्त ज्वर में बहुत लाभ होता है।
Yellow Fever- 25 मिग्रा. चंद्रकला रस, पटोलपत्र का रस और मधु का रस सुबह-शाम सेवन करने से पित्त ज्वर नष्ट होता है। यह औषधि जठाराग्नि को मंद नहीं करती, ज्वर के बढ़े हुए ताप को नष्ट कर देती है। ग्रीष्म व शीत ऋतुओं में उत्पन्न पित्त के विकारों में बहुत गुणकारी औषधि है। रक्तपित्त में इससे शीघ्र लाभ होता है।
– पित्त पापड़ा 20 ग्राम का क्वाथ बनाकर पीने से पित्त ज्वर नष्ट होता है।
– प्रवाल पिष्टी 250 मिग्रा. मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पितः ज्वर नष्ट होता है।
– अदयव, नागरमोथा, पाढ़, कुटकी, कायफल को बराबर मात्रा में कूट-पीसकर क्वाथ बनाकर, शक्कर मिलाकर, सुबह-शाम करने से पित्त ज्वर नष्ट होता है।
– गोदन्ती भस्म, प्रवालपिष्टी और भुनी हुई फिटकरी प्रत्येक एक-एक ग्राम मात्रा में सुबह-शाम अदरक व मधु के साथ देने से पित ज्वर शीघ्र नष्ट होता है।
Yellow Fever- पीपल, हरड़, सोठ, निसोत और कबीला आदि बराबर मात्रा में लेकर गुड़ और खांड 5-5 भाग मात्रा में मिलाकर तीन-तीन ग्राम मात्रा के बराबर बनाकर रखें। प्रतिदिन एक गोली जल के साथ सेवन करने से पित्त ज्वर, तृषा नष्ट होती है।
– हरड़, पित्त पापड़ा नागरमोथा, कुटकी अमलतास का गूदा और मुनक्का मिलाकर क्वाथ बनाकर सेवन करने से पित्त ज्वर के साथ जलन, चक्कर आना, प्यास, मूर्छा और प्रलाप विकार भी नष्ट होते हैं।
यह उपाय इंटरनेट के माध्यम से संकलित हैं कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करके ही उपाय करें।