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Yasin Malik : कौन है यासिन मलिक, जिसने फैलाया आतंकवाद, जिसने आतंकियों को दी पनाह, करवाया था गृहमंत्री की बेटी का अपहरण

Yasin Malik

नई दिल्ली, नवप्रदेश। आतंकी और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक (Yasin Malik) को आज NIA कोर्ट ने उम्रकेद की सजा सुना दी हैस साथ ही उस पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया है।

इस पर 9 अलग-अलग धाराएं भी लगाई गईं हैं। लेकिन यासिन मलिक है कौन, जिसनें आतंक को बढ़ावा दिया। बड़ी- बड़ी आतंकी गतिविधियों में शामिल था। आज हम आपको यासिन मलिक के उन अपराधों के बारे में बताएंगे जिन्होने यासिन मलिक (Yasin Malik) को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।

उसका जन्म 3 अप्रैल 1966 को श्रीनगर के मैसुमा में हुआ था। अभी उसकी उम्र 56 वर्ष है। यासीन के पिता गुलाम कादिर मलिक एक सरकारी बस ड्राइवर थे। यासीन की पढ़ाई श्रीनगर में ही हुई है।

एक इंटरव्यू में यासीन मलिक (Yasin Malik) ने बताया था कि आखिर उसके अंदर इतनी नफरता कहां से आ गई थी। उसने बताया कि उसने कश्मीर में सेना का जुल्म देखा था और उसी नफरत में उसने हथियार उठाने का फैसला किया।

उसने 80 के दशक में ‘ताला पार्टी ‘ का गठन किया था, जिसके चलते उसने घाटी में कई बार नफरत की आग सुलगाई और आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया। 

यासीन मलिक का नाम तब सामने आया जब कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और वेस्ट इंडीज का क्रिकेट मैच चल रहा था।

लंच ब्रेक में अचानक 10-12 युवा लड़के बीच मैदान में पहुंचे और पिच खराब करने लगे। इस वारदात को ताला पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ही अंजाम दिया था। 

कश्मीर के ख्वाजा बाजार में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की रैली हो रही थी। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग जुटे थे। इस बीच, रैली के दौरान 60-70 लड़के पहुंचे और भीड़ में ही पटाखा फोड़ दिया। उस वक्त सबको लगा कि बमबारी शुरू हो गई और चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल बन गया, तब पहली बार यासीन मलिक पकड़ा गया था। 

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ से जुड़ने के कुछ दिनों बाद ही यासीन मलिक पाकिस्तान चला गया। यहां ट्रेनिंग लेने के बाद 1989 में वह वापस भारत आया। इसके बाद उसने गैर-मुसलमानों को मारना शुरू कर दिया।

सबसे बड़ा मामला तब आया जब यासिन मलिक ने 1989 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण हो गया। उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद दिल्ली में अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे थे।

इस अपहरण कांड का मास्टरमाइंड अशफाक वानी था। कहा जाता था कि ये यासीन मलिक के इशारे पर ही हुआ। इसमें शामिल सारे आतंकवादी जेकेएलएफ से ही जुड़े थे। 

यासीन मलिक पर भारतीय वायुसेना कर्मियों पर आतंकवादी हमले करने का भी आरोप है। मलिक ने 1990 में कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बेदखल करने में भी अहम भूमिक निभाई थी और उन पर उस समय बहुत ही अत्याचार हुआ था।

 बाद में वो जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का प्रमुख बन गया और साल 1994 में इसने JKLF को एक राजनीतिक दल के तौर पर पेश करने की कोशिश की। मलिक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख मकबूल भट्ट को अपना आदर्श मानता आया है। 

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