World War : भारत ही नही बल्कि चीन ने पूरी दुनिया को अपना दुश्मन बना लिया है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बारूद के ढेर पर बैठकर आग से खेल रहे हैं। ऐसे में इस आशंका को नकारा नही जा सकता कि कहीं वे चीन के लिए भस्मासुर साबित नहीं हो जाएं। उनका हर कदम भड़काऊ रहता है। नाटो देश भी यह बॉत अच्छी तरह समझ चुके है कि चीन दुनिया की शांति के लिए खतरा बन गया है। चीन अपनी नीतियों की वजह से दुनिया के लिए सबसे बड़ी मुसिबत बनता जा रहा है।चीन अपनी इस नीति के जरिए 150 से ज्यादा देशों में 112 लाख करोड़ से ज्यादा रकम कर्ज या निवेश के तौर पर लगा चुका है।
चीन (World War) की हाल ही में बैलिस्टिक मिसाइलों को दागने के लिए की गई तैयारी इस बॉत का संकेत दे रही है कि उसकी यह तैयारी केवल भारत के लिए नही बल्कि विश्व युद्ध की नींव रखने की तैयारी है। बीजिंग से करीब 2000 किलोमीटर पश्चिम में मौजूद बंजर रेगिस्तान को चीन सरकार इन दिनों जगह-जगह खोद रही है। यह कोई विकास की योजना नहीं, बल्कि अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों, यानी आईसीबीएम से परमाणु हथियारों को दागने के लिए सैकड़ों किमी लंबा-चैड़ा मैदान है। चीन अपने उत्तर-पश्चिमी प्रांत यूमेन के करीब रेगिस्तान में 110 से ज्यादा अंडरग्राउंड ठिकाने बना रहा है। ऐसे ठिकाने को साइलोऔर ऐसे ठिकानों से भरे पूरे इलाके को साइलो फील्ड कहा जा रहा है। इनसे ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलें दागी जा सकती हैं।
जिनकी मारक दूरी 5,500 किमी से ज्यादा होगी। यह खुलासा कॉमर्शियल सैटेलाइट्स से ली गई तस्वीरों की एनालिसिस से हुआ है।यह साइलो फील्ड चीन के झिंजियांग क्षेत्र के पूर्वी हिस्से में है। यह इलाका हामी शहर में चीन के कुख्यात रीएजुकेशन शिविरों से ज्यादा दूर नहीं है। पिछले हफ्ते द फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट ने श्प्लैनेट लैब्स सैटेलाइट्सश् की तस्वीरों के जरिए इसकी पहचान की है। फेडरेशन ने ये तस्वीरें न्यूयॉर्क टाइम्स से भी शेयर की हैं। यह हामी शहर से 60 किमी दक्षिण-पश्चिम में उइगर मुसलमानों के लिए बनाए गए सरकारी रीएजुकेशन सेंटर के करीब है। इन सेंटर्स में उइगर मुसलमानों को कट्टरता से बाहर निकालने के नाम पर कैद में रखा जाता है।एक्सपट्र्स के अनुसार सैटेलाइट तस्वीरों में परमाणु मिसाइलों के सैकड़ों लॉन्च ठिकानों का पता लगना कोई इत्तेफाक नहीं है।
दरअसल, यह साइलोज बनाए ही इसलिए गए हैं ताकि दुनिया को दिख जाएं। दरअसल, आर्थिक और तकनीकी महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा के चलते चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा अमेरिका और रूस जितना बढ़ा कर उनकी नुमाइश करना चाहता अभी कुछ हफ्ते पहले भी इसी तरह के एक और इलाके का पता चला था। उसमें भी परमाणु मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए 100 से ज्यादा साइलोज बनाए जाने का खुलासा हुआ था। यह इलाका यूमेन से करीब 500 किलोमीटर दूर रेगिस्तान के हामी इलाके में है। सैटेलाइट की इन तस्वीरों से ही हामी से कुछ दूर चीन के एक लेजर गन के ठिकाने का भी पता चला है।
इनका इस्तेमाल दूसरे देशों के सैटेलाइट मार गिराने में किया जाएगा। यानि 210 से ज्यादा साइलोज से दागी जाने वाली आईसीबीएम की चपेट में पूरी दुनिया आ सकती है। अब सवाल यह उठता है कि परमाणु हथियारों को लेकर अब तक न्यूनतम सिद्धांत पर चल रहा चीन अधिकतम पर क्यों चला गया? इस सवाल को लेकर कई तरह की थ्योरी हैं। विशेषज्ञ इस बदलाव के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विस्तारवादी नीति को मुख्य वजह बता रहे है। चीन अब खुद को एक आर्थिक, तकनीकी और सैन्य सुपर पावर मानता है और चाहता है कि उसका परमाणु जखीरा भी बाकी दोनों सुपरपावर यानी अमेरिका और रूस जैसा बड़ा हो।
लेकिन चीन अमेरिका के मिसाइल डिफेंस, भारत के तेजी से बढ़ते परमाणु जखीरे और रूस के नए हाइपरसॉनिक और ऑटोमैटिक परमाणु हथियारों को लेकर चिंतित है। चीन इन तीनों चुनौतियों को बड़ी संख्या में दूर तक मार करने वाले परमाणु हथियार बनाकर काउंटर करना चाहता है। दरअसल, दुनिया का अच्छे से अच्छा मिसाइल डिफेंस बड़ी संख्या में दागी गईं अलग-अलग तरह की मिसाइलों से चकरा सकता है।
चीन को चिंता है कि जमीन से दागी जाने वाली उसकी मिसाइल हमले की स्थिति में तबाह हो सकती हैं।
ऐसे में दो जगहों पर 200 से ज्यादा साइलो बनाकर चीन अपने दुश्मन को चैंकाना चाहता है। अमेरिका से युद्ध की स्थिति में अगर चीन 20 परमाणु मिसाइलों को इन 200 से ज्यादा साइलोज में घुमाता रहा तो अमेरिका मिसाइलों का अंदाज ही लगाता रह जाएगा। यही नही हामी इलाके से करीब 420 किमी पश्चिम में एक सुव्यवस्थित परिसर में ऐसी बिल्डिंग्स का भी पता चला है, जिनकी बड़ी-बड़ी छत आसमान की ओर खुल सकती हैं। हाल ही में विशेषज्ञों ने इस परिसर को चीन के उन पांच ठिकानों में से एक बताया है जहां से वह अंतरिक्ष में चक्कर लगाते निगरानी सैटेलाइट्स को लेजर बीम दागकर गिरा सकता है।
लेजर बीम सैटेलाइट्स के नाजुक ऑप्टिकल सेंसर को खराब कर देती है। भारत को लेकर चीन (World War) का रवैया लुकाछिपी वाला रहा है। नियंत्रण रेखा से सैनिक हटाने के समझौते के बावजूद चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में दाखिल होकर एक बार फिर सीमावर्ती विवाद को गर्मा चुका है। बीते साल मई के महीने में भारत और चीन के बीच शुरु हुए सीमा विवाद को अब एक साल हो गया है। इस बीच दोनों मुल्कों के कूटनीतिज्ञों और सैन्य अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई है। लेकिन इस मामले का अब तक कोई हल नहीं निकला।
31 जुलाई को भारत और चीन (World War) के सैन्य शीर्ष कमाण्डरों की 12 बैठक में भी कोई हल नही निकल पाया। हालांकि इस बैठक में भारत का रूख स्पष्ट रहा कि चीन समझौते के अनुसार पहले हॉट स्प्रिंग, डेप्साग और गोगरा से अपनी सेना हटाए। इसके पूर्व चीन का परमाणु मिसाइल दागने के लिए 200 से अधिक अंडरग्राउण्ड ठिकाने बनाना इस बॉत का प्रमाण है कि उसकी नियत ठीक नही है। बहरहाल अब चीन भारत के लिए ही नही बल्कि वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है।