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Woman power : महिलाओं के कंधे वायरोलॉजी लैब की कमान, 4 लाख से अधिक हुई कोविड जांच…

Woman power: Women's shoulders commanded by Virology Lab, more than 4 lakh Kovid tests...

Woman power

लैब में प्रतिदिन 1000 से 1200 हो रही RTPCR जांच

रायपुर/नवप्रदेश। Woman power : वैश्विक कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई जारी है। इस जारी लड़ाई में पंडित जवाहर लाल नेहरू (जेएनएम) चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर का माइक्रोबायोलॉजी विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विभाग में अब तक 4 लाख से अधिक कोविड-19 की आरटीपीसीआर जांच की जा चुकी है। सबसे खास बात यह है कि वैश्विक महामारी में इस वायरोलॉजी लैब को चलाने की बागडोर महिलाओं के हाथ में हैं और वह बखूबी इसकी जिम्मेदारी पूरी ऊर्जा और ईमानदारी के साथ निभा रही हैं।

संचालक चिकित्सा शिक्षा और पंडित जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विष्णु दत्त के मार्गदर्शन और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ अरविन्द नेरल और विभागाध्यक्ष डॉ.निकिता शेरवानी के नेतृत्व में इस वायरोलॉजी लैब की स्थापना राजधानी में हुई और कोरोना की जांच की जा रही है। 14 अप्रैल 2020 से अब तक (3 अगस्त 2021 तक) कुल 4.04 लाख आरटीपीसीआर जांच हुई हैं। इनमें 51,490 पॉजिटिव तो 3.5 लाख निगेटिव रहे हैं।

प्रतिदिन 60 जांच से लैब की हुई थी शुरुआत

विभागाध्यक्ष डॉ.निकिता शेरवानी (Woman power) ने बताया, कोविड लैब को चलाने के लिए पूरी टीम ने जो प्रयास किया वह सराहनीय है। हमारी टीम में ज्यादातर महिलाएं हैं जो पूरी ऊर्जा से कार्य कर रही हैं। इस दौरान लैब के कई लोग और उनसे जुड़े लोग कोरोना पॉजिटिव भी हुए पर इस दौरान लैब का काम पूरी ऊर्जा और ईमानदारी के साथ किया गया और सभी अपनी ड्यूटी पर लगे हैं।” वैज्ञानिक डॉ. नेहा सिंह ने बताया “जब लैब की शुरुआत हुई थी तब यानि 15 अप्रैल 2020 से 60 कोविड-19 आरटीपीसीआर जांच प्रतिदिन होती थी, वहीं अब 1,000 से 1,200 प्रतिदिन आरटीपीसीआर जांच की जा रही है। यह टीम की मेहनत और लगन का ही नतीजा है।

वैश्विक महामारी से निपटने को हुई खास व्यवस्था

वैश्विक महामारी से निपटने और अधिक से अधिक कोरोना की जांच राज्य में कराए जाने के लिए राज्य सरकार की ओर से पहली बार वायरोलॉजी लैब की स्थापना राजधानी में की गई। साथ ही इसके सेटअप के लिए विशेष पद सीनियर साइंटिस्ट सृजित हुआ, ताकि राज्य में कोरोना जांच के अलावा आरटीपीसीआर अथवा अन्य साइंटिफिक लैब गतिविधियों के संचालन को पूर्ण करने, माइक्रोबायलॉजी वायरोलॉजी लैब के प्रबंधन में भूमिका, सीनियर साइंटिस्ट द्वारा प्रोजेक्ट एवं प्रस्ताव बनाने, रिसर्च एवं शोध प्रस्ताव तैयार कर समन्वय करना शामिल है। साथ ही अन्य तरह की विशेष जांच सुविधा मुहैय्या हो तथा शोध की गतिविधियां भी संचालित हो सकें। इसी के मद्देनजर डॉ. नेहा ने हैदराबाद की नौकरी छोड़कर कोरोना महामारी में सीनियर साइंटिस्ट के रूप में ज्वाइन कर लैब में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

परिवार की चिंता थी सबसे बड़ी चुनौति

वायरोलॉजी लैब में कार्यरत स्टाफ (Woman power) को शुरूआत में 3-3 शिफ्ट में कार्य करना पड़ता था। टीम में ज्यादातर महिलाएं हैं जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं। शुरूआत में तो बच्चों से दूर ही रहकर इन्हें कार्य करना पड़ता था क्योंकि कोरोना का भय और परिवार संक्रमित ना हो जाए इसका डर हमेशा सताता था। लैब की विभागाध्यक्ष डॉ. निकिता समेत वैज्ञानिक डॉ. नेहा लगभग एक साल अपने परिवार से और बच्चे से दूर रहीं। क्योंकि नया सेटअप और वायरस का खौफ इतना था कि परिवार की चिंता हमेशा से उन्हें सताती थी। हालांकि वर्तमान में लैब कार्यप्रणाली के लिए प्रोटोकॉल बना है और सभी नियमों का पालन करते हुए अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।

ये है टीम में शामिल

कोरोना जांच के लिए कार्यरत टीम (Woman power) में माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. रूपम गहलोत, डॉ. निजा मोंगा, डॉ. सुचिता नेताम, स्नेहा ददरिया और वैज्ञानिक डॉ. नेहा सिंह, डॉ. अभिज्ञान नाथ, डॉ. खुशबू भांगे, विजयलक्ष्मी जैन, अपर्णा साहू, डॉ. दिव्या त्यागी अहम भूमिका निभा रहीं हैं। सहयोगी टीम में डॉ. ईरीश ठाकुर डाटा एंट्री टीम के साथ डाटा संकलन, रिर्पोट्स, रिकॉड्र्स और आईटी संबंधित कार्यों में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। इस टीम में 11 डाटा एन्ट्री आपरेटर आईसीएमआर पोर्टल, आईडीएसपी और स्वास्थ्य विभाग को सभी रिपोट्र्स और संबंधित जानकारियां तुरंत प्रेषित करते हैं। इनके अलावा मेडिकल लैब तकनीशियन और लैब अटेण्डेन्ट की भूमिका भी बहुत खास और सराहनीय है।

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