आज का बेबाक : संसद का शीतकालीन सत्र चढ़ा हंगामों की भेंट
Winter session of Parliament marred by uproar: इसे ही कहते है काम के न काज के दुश्मन अनाज के। माननीय कहलाते हैं। लाखों के वेतन भत्ते और राजधानी में आलीशान बंगले सहित तमाम तरह की सुविधाएं मुफ्त में पाते हैं।
इसके बावजूद जनहित से जुड़े मुद्दे संसद में नहीं उठाते सिर्फ हंगामा खड़ा कर अपनी राजनीति चमकाते है। संसद के शीतकालीन सत्र के शुरूआती चार दिन भी हंगामों की भेंट चढ़ गए।
संसद की कार्यवाही पर करोड़ों रू. स्वाहा हो गए लेकिन काम कौड़ी का भी नहीं हुआ। अब समय आ गया है कि सांसदों के लिए भी जितना काम उतना दाम का नियम लागू हो।