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Wildlife Conservation India : भटकते नहीं, बसते हैं अब जंगल में…भोरमदेव में वन्य प्राणियों के लिए ‘जल जीवन’ मिशन शुरू…

कवर्धा/नवप्रदेश/ जितेंद्र नामदेव, 26 मई। Wildlife Conservation India : गर्मियों की तपिश जहां इंसानों के जीवन को प्रभावित कर रही है, वहीं जंगलों के राजा और उनके साथी भी जल संकट से अछूते नहीं हैं। लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है। भोरमदेव अभ्यारण्य, जो पर्वतीय श्रृंखला के बीच बसा हुआ एक जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र है, अब वन्यजीवों के लिए ‘जल जीवन मिशन’ की मिसाल बन चुका है।

वन विभाग कवर्धा ने न सिर्फ जंगल में 8 से अधिक स्थलों पर अस्थायी जलस्रोत विकसित किए हैं, बल्कि प्राकृतिक जलधाराओं की सफाई कर उन्हें भी उपयोग लायक बनाया है। पानी की टंकियों की नियमित सफाई, टैंकर से जल पूर्ति और ट्रैप कैमरे की मदद से वन्यजीवों की हर गतिविधि पर पैनी नजर – ये सभी उपाय अब जंगल को उनके मूल निवासियों के लिए फिर से सुरक्षित बना रहे (Wildlife Conservation India)हैं।

मानव हस्तक्षेप की कमी और जल प्रबंधन की सफलता ने वन्य प्राणियों को बस्तियों की ओर जाने से रोकने में मदद की है। वन विभाग की अपील है कि यदि कोई वन्यजीव ग्रामीण इलाकों में दिखाई दे तो उसकी सूचना तुरंत संबंधित विभाग को दें ताकि उसे सुरक्षित रूप से जंगल में वापस भेजा जा सके।

इस अभ्यारण्य में बाघ, तेंदुआ, भालू, हाथी, बायसन, वनभैंसा जैसे बड़े वन्यजीवों के साथ 100 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ट्रैप कैमरे अब न केवल निगरानी का माध्यम हैं, बल्कि यह भी बता रहे हैं कि जल प्रबंधन से वन्यजीव अब अपने पुराने इलाकों में लौट रहे (Wildlife Conservation India)हैं। इस पहल को यदि ‘वन्य जलसंरक्षण का मॉडल’ कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

वर्सन-

वर्तमान में वनांचल क्षेत्रों में मानव दबाव कम होने के कारण वन्यप्राणी अगर कहीं बस्तियों की ओर रूख करते हैं तो इसकी जानकारी तत्काल ही वन विभाग, रेंज ऑफिस या फिर तत्काल संबंधित थाने को दी (Wildlife Conservation India)जाए, जिससें होने वाली हानि से बचा जा सकता है। वहीं वन्यप्राणियों के लिए वनांचल क्षेत्रों में प्राकृतिक स्रोत से मिलने वाले जलों को जहां स्वच्छ किया जा गया है। अस्थाई रूप से भी पानी की व्यवस्था वन्यप्राणियों के लिए की गई है।

निखिल अग्रवाल, वनमंडलाधिकारी, कबीरधाम

वर्सन-

भोरमदेव अभयारण्य क्षेत्र में 8 से अधिक जगह अस्थाई रूप से वन्यप्राणियों के लिए पानी की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही प्राकृतिक जल स्रोतों को भी स्वच्छ किया जा रहा है, जिससे वन्यप्राणियों को वनांचल क्षेत्रो में ही पानी की उपलब्धता हो सके।

दिलीप सिंह ठाकुर, भोरमदेव अभयारण्य क्षेत्र अधिकारी, कवर्धा 

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