पत्नी को देना पड़ेगा भरण-पोषण की राशि, उच्च न्यायालय ने दिया आदेश… कहा- पति से तलाक…
-बीमार पति के भरण-पोषण का खर्च तलाकशुदा पत्नी को देना होगा
मुंबई। High Court gave order: उच्च न्यायालय ने अलग रह रही पत्नी को आदेश दिया कि वह अपने पति को प्रति माह 10,000 रुपये का भरण-पोषण खर्च दे। जो बीमारी के कारण कमाने में असमर्थ है। शर्मिला देशमुख की एकल पीठ ने 2 अप्रैल के अपने आदेश में कहा-हिंदू कानून के प्रावधान में ‘पति-पत्नी’ शब्द का उल्लेख है। इसमें पति-पत्नी दोनों शामिल हैं।
पत्नी इस बात से इंकार नहीं करती कि अलग रह रहा पति बीमारी के कारण कमाने में असमर्थ है। यह माना गया कि पति अपना भरण-पोषण (High Court gave order) करने में असमर्थ है और आय का स्रोत होने के कारण पत्नी पति को अंतरिम भरण-पोषण का खर्च देने के लिए बाध्य है। देशमुख ने कहा- उच्च न्यायालय ने अलग रह रहे पति को प्रति माह 10,000 रुपये का भरण-पोषण खर्च देने के सिविल कोर्ट के मार्च 2020 के आदेश को चुनौती देने वाली पत्नी की याचिका खारिज कर दी।
फैमिली कोर्ट ने तलाक मंजूर करते हुए पति की गुजारा भत्ता की अर्जी भी मंजूर कर ली। कुछ बीमारियों के कारण वह काम नहीं कर पा रहा है। इसलिए पति ने मांग की कि अलग रह रही पत्नी, जो एक बैंक मैनेजर है, जिसे भरण-पोषण खर्च का भुगतान करने का आदेश दिया जाना चाहिए।
हम होम लोन चुका रहे हैं और अपनी नाबालिग बेटी की देखभाल की भी जिम्मेदारी है। इसके अलावा मैं बीमारी के कारण काम नहीं कर पा रहा हूं। यह मामला अभी फैमिली कोर्ट में लंबित है। इसलिए पत्नी ने हाई कोर्ट को बताया कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है।
पत्नी बेरोजगार कैसे?
आय के किसी अन्य स्रोत के अभाव में याचिकाकर्ता को यह खुलासा करना होगा कि याचिकाकर्ता अपना और अपनी बेटी का भरण-पोषण कैसे करती है। जज ने कहा कि याचिकाकर्ता यह नहीं कहता कि वह कमाई नहीं कर रहा है। देशमुख ने कहा पति ने अदालत के संज्ञान में लाया कि पत्नी ने यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है कि वह बेरोजगार है।