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कहां गई CSEB के राखड़ डैम से निकली 23 हजार क्यूबिक मीटर राख ?

Where did the 23 thousand cubic meters of ash that came out from CSEB's Rakhad Dam go?

CSEB Rakhad Dam

क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी ने जारी किया एसईसीएल और सीएसईबी को नोटिस, मांगा जवाब

कोरबा/नवप्रदेश। CSEB Rakhad Dam: कहते है चोर चोरी से जा सकता है हेराफेरी से नहीं। ठीक इसी तरह सीएसईबी के अफसरों ने संगठित गिरोह बनाकर राख को कोकीन बनाकर पैसा कमा नहीं बना रहे है। आरटीआई से मिले दस्तावेज के अनुसार सिर्फ तीन माह अक्टूबर, नवम्बर और दिसंबर 2023 में सीएसईबी की राखड़ डैम से राख निकला 23 हजार 666 क्यूबिक मीटर और एसईसीएल मानिकपुर की बंद खदान पहुंचा 52 हजार 500 क्यूबिक मीटर। अब सवाल उठता है कि 2 हजार 71 हजार क्यूबिक मीटर राख आसमान खा गया या सीएसईबी के अफसर, ये जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। लेकिन जिस तरीके से राख को कोकीन बनाकर रकम बनाया जा रहा है। उससे सरकारी संपत्ति को बड़ा नुकसान हो रहा है।

एनजीटी के निर्देश पर बिजली संयंत्रों से निकाले जा रहे राखड़

बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वर्ष 2029 तक देशभर के बिजली संयंत्रों के राखड़ डैम को खाली करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद से वर्ष 2022 से कोरबा में संचालित बिजली संयंत्रों के डैम से राख (CSEB Rakhad Dam) खाली कराया जा रहा। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी (सीएसपीजीसीएल) की हसदेव थर्मल पावर प्रोजेक्ट (एचटीपीपी) व डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह (डीएसपीएम) के राखड़ डैम से भी राख परिवहन का ठेका दिया गया है। यहां का राख साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) मानिकपुर की बंद खदान में भरा जा रहा है।

इस तरह चल रहा पूरा खेल

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के पूर्व क्षेत्रीय अधिकारी शैलेन्द्र पिस्दा ने आकस्मिक जांच के लिए अक्टूबर, नवंबर व दिसंबर 2023 में होने वाले राख परिवहन का ब्यौरा सीएसपीजीसीएल व मानिकपुर प्रबंधन से मांगा। दोनों का ब्यौरा मिलने के बाद राख परिवहन में बड़ी गड़बड़ी आई। सीएसपीजीसीएल ने बताया कि इस अवधि में कुल तीन लाख 23 हजार 666 क्यूबिक मीटर राख भेजी गई।

उधर मानिकपुर प्रबंधन ने जानकारी दी कि खदान में 52,500 मीटर क्यूबिक राख पहुंची है। ऐसे में सवाल उठता है कि शेष दो लाख 71 हजार 166 क्यूबिक मीटर राख आखिर कहां गया। दो ही परिस्थितियां बनती है, या कि बिना राख का परिवहन किए बोगस बिल पर भुगतान कर दिया गया। या फिर राख निकला, पर गंतव्य में पहुंचाने की जगह उससे पहले ही यहां- वहां डंप कर दिया गया। दोनों ही सूरत में जांच किया जाना आवश्यक हो गया है।

राख से रकम बनाने वाले अफसरों के संपत्ति की हो जांच

आरटीआई कार्यकर्ता मनीष राठौर ने कहा कि राख (CSEB Rakhad Dam) से रकम बनाने वाले अफसरों के संपत्ति की जांच होनी चाहिए। जिस अंदाज में राख डेम से निकला कम और बिलिंग ज्यादा किया जा रहा है उससे सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने शहर में एक नई परिपार्टी चली है अगर किसी अफसर की शिकायत करो उल्टा उस पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाते है। जिससे उनकी करतूत छुपी रहे और सरकार खजाने को लूटते रहे।

एसईसीएल और सीएसईबी प्रबन्धन से मांगा गया है जवाब : पांडेय

क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी प्रवेंद्र शेखर पांडेय ने कहा कि ये डैम से निकले राखड़ गायब होना गंभीर मामला है। इस पर संज्ञान लेते हुए सीएसईबी और एसईसीएल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद दस्तावेजों की जांच करते हुए कार्रवाई की जाएगी।

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